उन्होंने जम्मू-कश्मीर के कटरा से चेन्नई, डिब्रूगढ़ से कन्याकुमारी, गुवाहाटी से दिल्ली और देहरादून से मुंबई तक विभिन्न मार्गों पर यात्रा की और करीब नौ दिनों के 200 घंटों के सफर में 10,788 किलोमीटर की दूरी तय की। सफर के दौरान ट्रेन के हरेक डिब्बे में लोकतंत्र का लघु रूप दिखा जहां सभी वर्गों के यात्रियों के विचार और उनकी आवाजें गूंज रही थीं। डिब्रूगढ़-कन्याकुमारी विवेक एक्सप्रेस में राजनीतिक परिदृश्य को आकार देने वाले उत्तर पूर्व और दक्षिण भारत में अलग-अलग विचारों पर बहस छिड़ी हुई थी। डिब्रूगढ़-कन्याकुमारी एक्सप्रेस में सवारी करते हुए उत्तर से दक्षिण भारत तक के राजनीतिक माहौल का जायजा ले रहे हैं …
‘इस देश की हालत इस ट्रेन की जैसी ही है- लाचार’, यह बात कार्तिक सेल्वम ने नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार के समय देश की स्थिति पर गरमागरम चर्चा के दौरान कही।
उर्वरक कारखाने में काम करने वाले 35 वर्षीय युवक ने डिब्रूगढ़-कन्याकुमारी विवेक एक्सप्रेस में सवारी के दौरान कहा, ‘उन्होंने भारत को 2047 तक विकसित देश बनाने का वादा किया है, लेकिन देश की सबसे लंबी ट्रेन यात्रा करने से पता चलता है कि उनके वादे कितने खोखले हैं।’ यह ट्रेन आठ राज्यों में 57 स्टॉपों से गुजरते हुए 74 घंटे में 4,189 किलोमीटर का सफर तय करती है जो भारत का सबसे लंबा रेल मार्ग है।
सेल्वम ने नाराजगी जताते हुए कहा, ‘शौचालय में गंदगी है। एसी द्वितीय श्रेणी में भी हर दो मिनट में फेरीवाले घुस आते हैं और ट्रेन कभी भी सही वक्त पर नहीं चलती है। लोग कहते हैं कि इस ट्रेन में सफर करना जीवन का एक अनुभव है। वे बिल्कुल सही कहते हैं, क्योंकि कोई भी इसमें दोबारा सफर करने की सोच भी नहीं सकता।’
हालांकि उनके साथ सफर करने वाले कई अन्य यात्री इससे सहमत नहीं हैं। मगर उन्होंने भी माना कि अभी बहुत कुछ किया जाना बाकी है। उनका कहना है कि केवल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ही इसे पूरा कर सकते हैं।
Denne historien er fra April 19, 2024-utgaven av Business Standard - Hindi.
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