देश की 990 सूचीबद्ध कंपनियों (बीमा, वित्त, बीमा, शेयर ब्रोकरेज कंपनियों को छोड़कर) की नियत परिसंपत्तियां वित्त वर्ष 2024 में केवल 7.6 प्रतिशत बढ़ीं, जबकि एक साल पहले इसमें 2021-22 की तुलना 12.2 प्रतिशत बढ़ोतरी दर्ज की गई थी। देश में लगभग सभी क्षेत्रों की कंपनियों का यही हाल रहा और अर्थव्यवस्था के लिए सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण समझे जाने वाले क्षेत्रों में पिछले वित्त वर्ष के दौरान पूंजीगत व्यय कम रहा था।
बीएफएसआई क्षेत्र के अलावा बाकी कंपनियों (रिलायंस इंडस्ट्रीज समेत तेल एवं गैस कंपनियों को छोड़कर) की कुल नियत परिसंपत्तियां वित्त वर्ष 2024 में साल भर पहले से 6.3 प्रतिशत बढ़ीं। साल भर पहले इनमें 2021-22 की तुलना में 9.9 प्रतिशत बढ़त आई थी। अगर इनमें से खनन एवं धातु कंपनियां भी हटा दें तो बची कंपनियों की नियत परिसंपत्तियां साल भर पहले से केवल 5.4 प्रतिशत बढ़ीं, जबकि 2022-23 में उनमें 8.9 प्रतिशत बढ़ोतरी हुई थी।
तेल एवं गैस और खनन एवं धातु ऐसे क्षेत्र हैं, जहां सबसे अधिक पूंजी लगती है। वित्त वर्ष 2024 के दौरान जितनी कंपनियों के आंकड़े खंगाले गए, उनमें इन दो क्षेत्रों की कंपनियों की शुद्ध नियत परिसंपत्तियों की हिस्सेदारी 30 प्रतिशत और 15 प्रतिशत रही है।
वित्त वर्ष 2024 में तेल एवं गैस कंपनियों की संयुक्त नियत परिसंपत्तियों में 10.9 प्रतिशत का इजाफा जरूर हुआ मगर वित्त वर्ष 2023 में यह इजाफा 18.7 प्रतिशत था। खनन एवं धातु कंपनियों की नियत परिसंपत्तियां वित्त वर्ष 2024 में 9.8 प्रतिशत अधिक रहीं, जबकि वित्त वर्ष 2023 में इनमें 13.9 प्रतिशत बढ़ोतरी रही थी।
Denne historien er fra June 18, 2024-utgaven av Business Standard - Hindi.
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