पेरिस में निशानेबाजी में अवनी लेखरा और भाला फेंकने में सुमित अंतिल ने इस बार भी स्वर्ण पदक हासिल किए। वहीं, तीरंदाजी में हरविंदर सिंह, ट्रैक-इन-फील्ड में प्रीति पाल और बैडमिंटन में नीतेश कुमार ने भी ऐतिहासिक सफलता दर्ज की। पिस्तौल निशानेबाजी में कांस्य पदक पर कब्जा करने वाली रुबीना फ्रांसिस कहती हैं, ‘पैरालिंपिक और इनमें भाग लेने वाले खिलाड़ियों, दोनों के दिन बदले हैं। सुविधाओं से लेकर धन की उपलब्धता सभी लिहाज से स्थिति पहले से बेहतर हुई हैं।’ पदक जीतने की खुशी फ्रांसिस के चेहरे पर साफ झलक रही थी। उन्होंने कहा, ‘हमने ओलिंपिक में पदक जीते हैं और अब मानों ऐसा लग रहा है कि हम मशहूर हस्ती बन गए हैं।’
निशानेबाज एवं पैरालिंपिक पदक विजेता मोना अग्रवाल कहती हैं कि जमीनी स्तर पर खिलाड़ियों को तत्काल समर्थन देने की जरूरत हैं। ‘खेलो इंडिया’ स्कीम से लाभान्विन हुईं अग्रवाल कहती हैं, ‘अब मैं पदक जीत चुकी हूं। मुझे पता है कि मुझे अब हर तरफ से पूरा समर्थन मिलेगा। मगर हमें उन लोगों के बारे में भी सोचना चाहिए कि जिन्होंने अभी बस अपने सफर की शुरुआत की है? ब्रांड या सरकार जो भी उन्हें मदद देना चाहते हैं वे जल्द से जल्द आगे आएं।’ अग्रवाल ने कहा कि अगर उन्हें शुरुआत में ही मदद मिली होती तो शायद वह और अच्छा प्रदर्शन कर पातीं। उन्होंने कहा, ‘मुझे कोई समर्थन नहीं था और न ही कोई और जरिया था मगर ‘खेलो इंडिया’ से काफी मदद मिली। कम से कम मुझे महीने के 10,000 रुपये तो मिल रहे थे जिससे मैं खेल से जुड़ी अपनी जरूरतें पूरी कर रही थीं।’
हालांकि, पैरा-एथलीट सरकार और ओलिंपिक गोल्ड क्वेस्ट एवं गो स्पोर्ट्स जैसे गैर-सरकारी संगठनों से मिलने वाले सहयोग मिलने की बात कर रह हैं मगर वे यह भी मानते हैं कि ब्रांड अभी भी पैरालिंपिक के साथ नहीं जुड़ रहे हैं। अवनी लेखरा कहती हैं, ‘ब्रांड के साथ सौदे या उनकी तरफ से मिलने वाले सहयोग के लिहाज से सामान्य एथलीट और पैरा-एथलीटों के बीच बड़ा अंतर है। हम जैसे खिलाड़ियों के लिए भी उन्हें आगे आना चाहिए।’
Denne historien er fra September 09, 2024-utgaven av Business Standard - Hindi.
Start din 7-dagers gratis prøveperiode på Magzter GOLD for å få tilgang til tusenvis av utvalgte premiumhistorier og 9000+ magasiner og aviser.
Allerede abonnent ? Logg på
Denne historien er fra September 09, 2024-utgaven av Business Standard - Hindi.
Start din 7-dagers gratis prøveperiode på Magzter GOLD for å få tilgang til tusenvis av utvalgte premiumhistorier og 9000+ magasiner og aviser.
Allerede abonnent? Logg på
समाज को दिशा देने वाले फैसले लिखे
न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ की विदाई
पाकिस्तान के एजेंडे को बढावा न दे कांग्रेस : मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को जोर देकर कहा कि दुनिया की कोई ताकत जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 को वापस नहीं ला सकती।
देश में चावल का भंडार लक्ष्य से 3 गुना अधिक
भारत में चावल का भंडार नवंबर में बढ़कर अधिकतम स्तर 2.97 करोड़ टन पहुंच गया। सूत्रों ने शुक्रवार को बताया कि यह सरकार के लक्ष्य से करीब तीन गुना अधिक है। दरअसल, निर्यात पर बीते दो वर्षों के दौरान प्रतिबंध लगे रहने के कारण स्थानीय स्तर पर आपूर्ति काफी बढ़ गई है।
...तो चाय की पत्ती के लिए भी हो सकेगी रेटिंग
1 से 5 पत्तियों वाली पहचान की वैज्ञानिक गुणवत्ता ग्रेडिंग प्रणाली शुरू करने पर विचार
म्युचुअल फंडों ने घरेलू शेयरों पर दांव बढ़ाया
एनएसई पर सूचीबद्ध कंपनियों के कुल बाजार पूंजीकरण में घरेलू म्युचुअल फंडों (एमएफ) की भागीदारी सितंबर 2024 तिमाही में नई ऊंचाई पर पहुंच गई, क्योंकि उन फंडों ने इक्विटी बाजारों में लगातार निवेश किया।
हल्दीराम भुजियावाला में 235 करोड़ रु का निवेश
पैंटोमैथ के बीवीएफ ने ली अल्पांश हिस्सेदारी
सैटेलाइट स्पेक्ट्रम पर देसी फर्में चाह रहीं सीमित अवधि
भारती एयरटेल और रिलायंस जियो जैसी देसी दूरसंचार कंपनियां सैटेलाइट ब्रॉडबैंड संचार के लिए स्पेक्ट्रम आवंटन की अवधि को तीन से पांच वर्षों तक सीमित करने पर जोर दे रही है। कंपनियों की सरकार से मांग है कि इसे लंबी अवधि के बजाय सीमित समय के लिए किया जाए और उसके बाद नए सिरे से इसका आवंटन किया जाए।
दीवाली के बाद ट्रकों का किराया घटा
त्योहारों से पूर्व अवधि मजबूत रहने के बाद ट्रकों के किराये में अक्टूबर के महीने में कमी आई है।
टाटा मोटर्स का लाभ 11% घटा
वाहन क्षेत्र की दिग्गज कंपनी टाटा मोटर्स ने वित्त वर्ष 25 की दूसरी तिमाही के दौरान 11 प्रतिशत की गिरावट के साथ 3,343 करोड़ रुपये का शुद्ध लाभ दर्ज किया है, जबकि इसका राजस्व 3.5 प्रतिशत तक घटकर 1,01,450 करोड़ रुपये रह गया।
पड़ोसी देशों पर बरकरार है भारत का असर
साल खत्म हो रहा है और अमेरिका में नई सरकार शासन संभालने जा रही है। दुनिया बदल रही है। ऐसे में भारत के लिए दक्षिण एशिया में क्या संभावनाएं हैं?