लंबा इस्लामी लबादा और काराकुल टोपी पहने धार्मिक विद्वान गलियों में घूम-घूम कर लोगों से बातचीत कर रहे हैं। यह कश्मीरी विद्वान अपने मदरसे में बच्चों को पढ़ाते हैं और इसी मोहल्ले में रहते हैं। वह आसपास के लोगों के साथ कोई नियमित रूप से मस्जिद आने या मदरसे के मामले में वार्तालाप नहीं कर रहे हैं, वह चुनाव के बारे में चर्चा कर रहे हैं। यह इलाका दशकों से चुनावी गतिविधियों और माहौल से अलग ही रहा है।
इन विद्वान का नाम है गुल मोहम्मद भट, जो लोगों के बीच गुल अजहरी के नाम से मशहूर हैं। वह दक्षिणी कश्मीर में नई बनी अनंतनाग पश्चिम विधान सभा सीट से जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के उम्मीदवार हैं। इस सीट पर पहले चरण में 18 सितंबर को मतदान होगा।
दुनिया में इस्लामी शिक्षा के लिए मशहूर मिस्र की अल-अजहर यूनिवर्सिटी से इस्लामिक फिलॉसफी में स्नात्कोत्तर और डॉक्टरेट की डिग्री हासिल करने वाले गुल यहां सुन्नी मदरसा चलाते हैं, जिसमें लगभग 80 छात्र धार्मिक शिक्षा हासिल कर रहे हैं।
गुल मोहम्मद अजहरी ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया, ‘कश्मीर की राजनीति में हिस्सेदारी निभाना इस्लामिक विद्वानों के लिए यह सबसे उपयुक्त समय है, ताकि लोगों में भरोसे की दीवार को मजबूत किया जा सके।’ परिसीमन से अस्तित्व में आई नई विधान सभा सीटें गुल मोहम्मद जैसे नए-नए राजनीति में उतरे लोगों के लिए वरदान से कम नहीं हैं। ये आसानी से वोटों को एकजुट कर सकते हैं, क्योंकि जहां वह रहते हैं और मदरसा चलाते हैं, वहां लोगों से बहुत अच्छे तरीके से संपर्क में रहते हैं।
Denne historien er fra September 17, 2024-utgaven av Business Standard - Hindi.
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कोहरा और धुंध एक बार फिर परेशान करने लगी है। राजधानी दिल्ली में घने कोहरे के कारण शुक्रवार को आईजीआई एयरपोर्ट पर आने और जाने वाली लगभग 500 उड़ानों में देर हुई जबकि 24 रेलगाड़ियां भी अपने गंतव्य पर देर से पहुंची।
कुशल पेशेवर दोनों देशों के लिए मददगार
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आगामी बजट में रक्षा क्षेत्र पर हो विशेष ध्यान
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महिला मतदाताओं की बढ़ती अहमियत
पहली नजर में तो यह चुनाव जीतने का नया और शानदार सियासी नुस्खा नजर आता है। महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए नकद बांटो, परिवहन मुफ्त कर दो और सार्वजनिक स्थानों तथा परिवारों के भीतर सुरक्षा पक्की कर दो। बस, वोटों की झड़ी लग जाएगी। यहां बुनियादी सोच यह है कि महिला मतदाता अब परिवार के पुरुषों के कहने पर वोट नहीं देतीं। अब वे अपनी समझ से काम करती हैं और रोजगार, आर्थिक आजादी, परिवार के कल्याण तथा अपने अरमानों को ध्यान में रखकर ही वोट देती हैं।
श्रम मंत्रालय तैयार कर रहा है रूपरेखा
गिग वर्कर की सामाजिक सुरक्षा
भारत के गांवों में गरीबी घटी
वित्त वर्ष 2024 में पहली बार गरीबी अनुपात 5 प्रतिशत से नीचे गिरकर 4.86 प्रतिशत पर आ गया, जो वित्त वर्ष 2023 में 7.2 प्रतिशत था