भारत के वित्तीय क्षेत्र में बड़े सरकारी और निजी क्षेत्र के बैंकों का दबदबा है। ऋण, बीमा और परिसंपत्ति प्रबंधन सहित वित्तीय क्षेत्र में ज्यादातर हिस्सेदारी भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई), एचडीएफसी बैंक और आईसीआईसीआई बैंक जैसे ऋणदाताओं की है। लेकिन दमदार मुनाफे और बजाज फिनसर्व, बजाज फाइनैंस तथा हाल में सूचीबद्ध हुई बजाज हाउसिंग फाइनैंस के बाजार पूंजीकरण (एमकैप) की बदौलत बजाज समूह अब इस वर्चस्व का चुनौती दे रहा है।
बजाज हाउसिंग फाइनैंस इसी महीने सूचीबद्ध हुई है। शेयर बाजार में इसके शानदार प्रदर्शन से बजाज समूह एमकैप के मामले में एसबीआई समूह को पीछे छोड़कर वित्तीय क्षेत्र का तीसरा सबसे मूल्यवान समूह बन गया। इससे ज्यादा एमकैप अब एचडीएफसी और आईसीआईसीआई समूह का ही है । बजाज हाउसिंग फाइनैंस का शेयर सूचीबद्ध होने के दिन अपने निर्गम मूल्य 70 रुपये की तुलना में दोगुने से ज्यादा बढ़कर 163.74 रुपये पर बंद हुआ। इससे बजाज समूह के एमकैप में 1.36 लाख करोड़ रुपये का इजाफा हुआ।
बजाज समूह की चार सूचीबद्ध वित्तीय कंपनियों बजाज होल्डिंग्स, बजाज फिनसर्व, बजाज फाइनेंस और बजाज हाउसिंग का कुल बाजार पूंजीकरण बीते शुक्रवार को 10.36 लाख करोड़ रुपये रहा। दूसरी ओर एसबीआई समूह का पूंजीकरण 9.6 लाख करोड़ रुपये रहा।
वित्तीय क्षेत्र में एचडीएफसी समूह का कुल बाजार पूंजीकरण सबसे अधिक 15.75 लाख करोड़ रुपये है जबकि आईसीआईसीआई समूह 11.95 लाख करोड़ रुपये एमकैप के साथ दूसरे स्थान पर है। आईसीआईसीआई समूह की चार कंपनियां आईसीआईसीआई बैंक, आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल लाइफ इंश्योरेंस, आईसीआईसीआई लोम्बार्ड जनरल इंश्योरेंस और आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज सूचीबद्ध हैं।
Denne historien er fra September 23, 2024-utgaven av Business Standard - Hindi.
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कोहरा और धुंध एक बार फिर परेशान करने लगी है। राजधानी दिल्ली में घने कोहरे के कारण शुक्रवार को आईजीआई एयरपोर्ट पर आने और जाने वाली लगभग 500 उड़ानों में देर हुई जबकि 24 रेलगाड़ियां भी अपने गंतव्य पर देर से पहुंची।
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आगामी बजट में रक्षा क्षेत्र पर हो विशेष ध्यान
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महिला मतदाताओं की बढ़ती अहमियत
पहली नजर में तो यह चुनाव जीतने का नया और शानदार सियासी नुस्खा नजर आता है। महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए नकद बांटो, परिवहन मुफ्त कर दो और सार्वजनिक स्थानों तथा परिवारों के भीतर सुरक्षा पक्की कर दो। बस, वोटों की झड़ी लग जाएगी। यहां बुनियादी सोच यह है कि महिला मतदाता अब परिवार के पुरुषों के कहने पर वोट नहीं देतीं। अब वे अपनी समझ से काम करती हैं और रोजगार, आर्थिक आजादी, परिवार के कल्याण तथा अपने अरमानों को ध्यान में रखकर ही वोट देती हैं।
श्रम मंत्रालय तैयार कर रहा है रूपरेखा
गिग वर्कर की सामाजिक सुरक्षा
भारत के गांवों में गरीबी घटी
वित्त वर्ष 2024 में पहली बार गरीबी अनुपात 5 प्रतिशत से नीचे गिरकर 4.86 प्रतिशत पर आ गया, जो वित्त वर्ष 2023 में 7.2 प्रतिशत था