स्मॉल मॉड्यूलर न्यूक्लियर रिएक्टर या एसएमआर में भारत की ऊर्जा की तस्वीर बदल देने की क्षमता है। लेकिन अभी की स्थिति में भारत में एसएमआर से बिजली बनाने का व्यापक कार्यक्रम शुरू करने से पहले काफी कुछ किया जाना है। मगर यह अहम क्यों है? क्योंकि आगे चलकर भारत को हर आठ से 10 वर्ष में अपना बिजली उत्पादन दोगुना करना होगा। पारंपरिक नवीकरणीय ऊर्जा सस्ती तो होती है मगर उसका भंडारण सस्ता नहीं होता। साथ ही नवीकरणीय ऊर्जा में पवन ऊर्जा तथा सौर ऊर्जा मौसम पर निर्भर रहती है और रोजाना इसमें बदलाव होता रहता है। ऐसे में भारत ऊर्जा उत्पादन के लिए जीवाश्म ईंधन इस्तेमाल नहीं करना चाहता तो उसके पास दूसरे स्रोतों में विविधता लाने के सिवा कोई विकल्प नहीं है।
इसमें दो राय नहीं है कि विविधता लाने से जोखिम कम होता है और बिजली की उपलब्धता में उतार-चढ़ाव भी कम होता है। लेकिन यह काम चतुराई से किया जाए तो बिजली उत्पादन की लागत भी कम हो सकती है। अन्य ऊर्जा स्रोतों में जियोथर्मल यानी भूतापीय और टाइडल अर्थात ज्वार से ऊर्जा बनाना अभी ठीक से शुरू भी नहीं हुआ है। जैव ईंधन बहुत महंगे हैं। ऐसे में परमाणु ऊर्जा का ज्यादा से ज्यादा उत्पादन जरूरी लगता है। इससे उत्पादन स्थिर होता है और चौबीसों घंटे रहता है, जिस कारण यह और भी आकर्षक विकल्प बन जाता है।
किंतु बड़े परमाणु बिजली संयंत्रों के साथ दिक्कत यह है कि इनके निर्माण में बहुत समय लगता है। ये करीब एक दशक में तैयार होते हैं और इनके लिए बहुत जमीन की जरूरत होती है। इनका निर्माण शुरू होने के साथ ही कई एहतियात बरतने होते हैं। अगर 300 मेगावॉट से कम क्षमता वाली परमाणु परियोजनाओं की बात करें तो तकनीकी बदलाव और नियमों को दुरुस्त बनाने से ये व्यावहारिक विकल्प बन गई हैं।
Denne historien er fra November 07, 2024-utgaven av Business Standard - Hindi.
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हाइब्रिड कारें लाएगी स्कोडा
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सैप के लिए सबसे बड़ा बाजार होगा भारत: सीईओ
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अवैध प्रवासियों से निपटने पर जोर
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वाहनों की खुदरा बिक्री 32% बढ़ी
अक्टूबर में वाहनों की खुदरा बिक्री में पिछले साल मुकाबले 32 प्रतिशत के है का इजाफा हुआ इसे खास तौर पर दोपहिया और यात्री वाहनों की त्योहारी मांग से मदद मिली है।
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बिज़नेस स्टैंडर्ड के बीएफएसआई इनसाइट सम्मेलन में बुधवार को शिरकत करने पहुंचे देश के निजी बैंक के शीर्ष अधिकारियों ने जमाएं कम होने की चुनौतियों के बारे में खुलकर बात की।
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ऐपल के वेंडर्स के पास 70 फीसदी कर्मचारी 18-24 साल तक की महिलाएं हैं
ट्रंप की जीत से झूमा बाजार
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यह कंपनियों के तिमाही नतीजे आने का दौर है और कंपनियों के मुनाफे या घाटे के आंकड़ों के साथ ही शेयर बाजार के जानकार, कारोबारी खबरें देने वाला मीडिया तथा कंपनियों के मुख्य कार्य अधिकारी (सीईओ) बताने लगते हैं कि उपभोक्ता मांग कैसी है और लोग कितनी खरीदारी कर रहे हैं।