महाराष्ट्र में दो दिन बाद (20 नवंबर) विधान सभा चुनाव के लिए मतदान होना है और इस बीच, देश की सबसे बड़ी स्लम बस्ती की संकीर्ण और गंदी गलियां इन दिनों उम्मीदवारों की भीड़ से भरी है। धारावी विधान सभा से चुनाव लड़ने वाले हर दल के प्रत्याशी यहां के मतदाताओं को लुभाने के लिए दिन-रात एक किए हैं।
विपक्षी दलों ने धारावी पुनर्विकास परियोजना (डीआरपी) के मुद्दे को उठाया है और अब यह निर्वाचन क्षेत्र प्रदेश की राजनीति का प्रमुख स्थल बन गया है। साल 2022 में मध्य मुंबई में 600 एकड़ में फैली धारावी स्लम बस्ती के पुनर्विकास के लिए महाराष्ट्र की भारतीय जनता पार्टी सरकार द्वारा की गई नीलामी में अदाणी ने बोली जीती थी।
मगर महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री और फिलहाल नेता प्रतिपक्ष एवं शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने अपने कई भाषणों में धमकी दी है कि अगर उनकी सरकार सत्ता में आती है तो अदाणी समूह को दिया गया ठेका रद्द कर दिया जाएगा। पिछले सप्ताह स्लम बस्ती से कुछ ही किलोमीटर दूर बांद्रा कुर्ला कॉम्प्लेक्स में आयोजित एक रैली में ठाकरे ने कहा था, ‘अगर हम सत्ता में आएंगे तो ठेका रद्द कर देंगे।’ ठाकरे के साथ कांग्रेस नेता राहुल गांधी भी रैली में मौजूद थे।
धारावी रीडेवलपमेंट प्रोजेक्ट प्राइवेट लिमिटेड (डीआरपीपीएल) इस परियोजना पर काम कर रही है। धारावी पुनर्विकास परियोजना/स्लम पुनर्वास परियोजना (एसआरए) स्लम पुनर्वास परियोजना के तहत महाराष्ट्र सरकार द्वारा बनाई गई एक विशेष निकाय है। धारावी रीडेवलपमेंट प्रोजेक्ट प्राइवेट लिमिटेड में अदाणी समूह की 80 फीसदी हिस्सेदारी है जबकि शेष हिस्सेदारी राज्य सरकार की है। धारावी रीडेवलपमेंट प्रोजेक्ट प्राइवेट लिमिटेड इस परियोजना को धारावी पुनर्विकास परियोजना/स्लम पुनर्वास परियोजना की देखरेख में पूरा करेगी।
इस स्लम बस्ती में दस लाख से अधिक लोग बदतर स्थिति में रह रहे हैं क्योंकि यहां उन्हें कम किराया लगता है। आबादी बढ़ने के साथ ही एक मंजिला बस्ती चार मंजिला असुरक्षित मकानों में तब्दील होती गई। परियोजना के मुताबिक, इस साल किए गए सर्वेक्षण के तहत वैध बाशिंदे को मुफ्त मकान दिए जाएंगे जबकि अन्य लोगों को राज्य सरकार मुंबई के अन्य हिस्सों में स्थानांतरित करेगी।
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