मुश्किल डगर!
■ ब्रिटेन भारत का 14वां सबसे बड़ा व्यापार भागीदार और चौथा सबसे बड़ा निर्यात बाजार है
■ अप्रैल से सितंबर के दौरान ब्रिटेन को निर्यात 12.4 फीसदी बढ़कर 7.32 अरब डॉलर हो गया
■ भारत से ब्रिटेन को मुख्य तौर पर खनिज ईंधन, मशीनरी, रत्न, औषधि, परिधान, लोहा एवं इस्पात जैसी वस्तुओं का निर्यात होता है
भारत और ब्रिटेन जनवरी की शुरुआत में मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) पर फिर बातचीत शुरू कर सकते हैं। मगर श्रम, पर्यावरण और सामाजिक सुरक्षा जैसे मुद्दों पर आम सहमति बनाना अभी भी मुश्किल दिख रहा है।
इस मामले से अवगत लोगों ने बिज़नेस स्टैंडर्ड से कहा कि एफटीए वार्ता पहले हुई प्रगति से आगे चर्चा शुरू करेगी, मगर यह जरूरी नहीं है कि ऋषि सुनक के नेतृत्व वाली पिछली सरकार ने जिन मुद्दों पर सहमति जताई थी, वे सभी उसमें शामिल हों। उदाहरण के लिए, ब्रिटेन में लेबर पार्टी की सरकार एफटीए वार्ता में श्रम, पर्यावरण पर प्रतिबद्धता आदि आधुनिक व्यापार मुद्दों की अपेक्षा करेगी। हालांकि भारत श्रम एवं पर्यावरण के मोर्चे पर बिना किसी बाध्यकारी प्रतिबद्धता के ‘सर्वोत्तम प्रयास’ जोर देता रहा है।
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