वित्तीय बाजार में प्रतिफल की चौथाई सदी
Business Standard - Hindi|November 28, 2024
भारत ने विगत 25 वर्षों में जहां बेहतरीन वास्तविक रिटर्न दिया है, वहीं उच्च मूल्यांकन के कारण इसका टिकाऊ बने रहना मुश्किल प्रतीत होता है। बता रहे हैं आकाश प्रकाश
आकाश प्रकाश

मुझे डीबी बैंक के जिम रीड और उनकी टीम द्वारा किया गया एक दिलचस्प अध्ययन पढ़ने को मिला जो वित्तीय बाजारों के विगत 25 वर्षों के रिटर्न पर आधारित है। इस अध्ययन में ढेर सारे आंकड़े शामिल हैं। अध्ययन में जनवरी 2000 से 2024 के अंत तक की अवधि के रिटर्न शामिल हैं।

हममें से अधिकांश लोग यह स्वीकार कर चुके हैं कि वित्तीय बाजारों में अमेरिका का प्रदर्शन असाधारण है। दुनिया भर के वैश्विक इक्विटी सूचकांकों में अमेरिका 65 फीसदी का हिस्सेदार है और वह सालाना 20 फीसदी रिटर्न के साथ लगातार नई ऊंचाइयां छू रहा है। पिछली चौथाई सदी जरूर उसके लिए बहुत खास नहीं रही है।

विगत 25 वर्षों में अमेरिकी शेयर (एसएंडपी 500) ने सालाना 4.9 फीसदी का वास्तविक इक्विटी रिटर्न दिया है जो सन 1800 से अब तक 25 वर्ष की अवधि के नौ खंडों में दूसरे सबसे खराब 25 वर्ष हैं। बीते 100 वर्षों से अधिक समय में अमेरिकी प्रतिभूतियों ने 7.3 फीसदी का वास्तविक सालाना रिटर्न दिया है। ऐसे में 4.9 फीसदी काफी कम रिटर्न है।

यह कैसे सही हो सकता है क्योंकि बाजार तो नई ऊंचाइयों पर है। क्या हमारा मूल्यांकन बाजार इतिहास के शीर्ष एक फीसदी के साथ अब तक के उच्चतम स्तर पर नहीं है?

अमेरिकी शेयरों के कमजोर सापेक्षित प्रदर्शन का सच उनके शुरुआती मूल्यांकन में है। सन 2000 की शुरुआत इंटरनेट बबल के साथ हुई और एसएंडपी 500 चक्रीय समायोजित मूल्य आय अनुपात के ऐतिहासिक रूप से उच्चतम स्तर पर पहुंच गया। आज मूल्यांकन भले ही दोबारा उच्चतम स्तर के करीब पहुंच गया है और बाजार में तेजी है लेकिन मूल्यांकन की शुरुआत ही इतनी ऊंची थी कि रिटर्न पर असर पड़ा। चौथाई सदी के आरंभिक 13 सालों में वास्तविक इक्विटी रिटर्न नकदी में पीछे रहा। इससे यही सामने आया कि शुरुआती मूल्यांकन के अधिक होने ने असर डाला है। इक्विटी ने जहां सभी बाजारों में नकदी और बॉन्ड को पीछे छोड़ दिया लेकिन 2000 से 2013 के बीच जैसी ऐसी अवधि भी रही जहां यह सही नहीं साबित हुआ। मूल्यांकन समय का संकेतक नहीं है लेकिन यह दीर्घावधि के रिटर्न के निर्धारण में अहम भूमिका निभाता है।

Denne historien er fra November 28, 2024-utgaven av Business Standard - Hindi.

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