साल 2024 अब आखिरी पड़ाव पर है, इसलिए देखते हैं कि भारत के वित्तीय क्षेत्र के लिए यह साल कैसा रहा। नीतिगत दरों में साल भर कोई बदलाव नहीं हुआ और यह 6.5 प्रतिशत बनी रही। किंतु भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति की अक्टूबर और दिसंबर में हुई आखिरी दो बैठकों में कुछ हरकत देखी गई क्योंकि आर्थिक वृद्धि और महंगाई का समीकरण बदलने लगा था। साल भर सख्ती दिखाते आए रिजर्व बैंक ने अक्टूबर में अपना नीतिगत रुख 'तटस्थ' कर लिया और कुछ भी नया नहीं करने का फैसला किया। इसके फौरन बाद दिसंबर में उसने बैंकों का नकद आरक्षी अनुपात (सीआरआर) घटा दिया ताकि बाजार में और पैसा आ सके।
गुजरते साल की घटनाओं और रुझानों पर विचार करने से पहले हमें कुछ आंकड़ों पर विचार करना चाहिए। उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) पर आधारित मुद्रास्फीति दिसंबर 2023 में 5.69 प्रतिशत थी। जनवरी 2024 में यह कम होकर 5.10 प्रतिशत रह गई और जुलाई में तो गिरकर 3.6 प्रतिशत पर टिक गई। पिछले पांच साल में यह सीपीआई महंगाई का दूसरा सबसे कम आंकड़ा था और रिजर्व बैंक के सहजता वाले दायरे में काफी नीचे आ रहा था। लेकिन खाद्य कीमतें बढ़ने के साथ ही अक्टूबर में यह 14 महीने के सबसे ऊंचे आंकड़े 6.2 प्रतिशत पर पहुंच गई। यह आंकड़ा केंद्रीय बैंक के महंगाई लक्ष्य को लाँघ गया था। नवंबर में यह एक बार फिर घटकर 5.47 प्रतिशत रहा।
देश की अर्थव्यवस्था में वृद्धि की रफ्तार भी लगातार धीमी होती रही है। वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में मार्च तिमाही के दौरान 7.76 प्रतिशत वृद्धि हुई थी, जो जून तिमाही में घटकर 6.5 प्रतिशत रह गई और सितंबर तिमाही में तो लुढ़ककर केवल 5.36 प्रतिशत पर टिक गई। दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था में लगातार तीसरी तिमाही में धीमी वृद्धि रही है। ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि भारत की अर्थव्यवस्था, बैंकिंग और वित्त का संकेत देने वाले दूसरे पैमाने क्या कह रहे हैं?
Denne historien er fra December 28, 2024-utgaven av Business Standard - Hindi.
Start din 7-dagers gratis prøveperiode på Magzter GOLD for å få tilgang til tusenvis av utvalgte premiumhistorier og 9000+ magasiner og aviser.
Allerede abonnent ? Logg på
Denne historien er fra December 28, 2024-utgaven av Business Standard - Hindi.
Start din 7-dagers gratis prøveperiode på Magzter GOLD for å få tilgang til tusenvis av utvalgte premiumhistorier og 9000+ magasiner og aviser.
Allerede abonnent? Logg på
टैक्सी यूजर ने की डार्क पैटर्न की शिकायत
लोकल सर्कल्स का सर्वेक्षण
खिलौनों से इलेक्ट्रॉनिकी तक 10 मिनट में
इस साल भारतीयों का सुविधा और तुरंत डिलिवरी के लिए प्यार बढ़ गया है और उपभोक्ताओं ने किराना के सामान के अलावा मेकअप और खिलौनों से लेकर वैक्यूम क्लीनर तक का ऑर्डर क्विक कॉमर्स प्लेटफॉर्म से किया।
विश्व के नेताओं ने दी मनमोहन को श्रद्धांजलि
देश के उद्योग जगत के दिग्गजों ने भी जताया शोक, उनके योगदान को किया याद
भारत के वाहन उद्योग की बदली तस्वीर
भारतीय ऑटोमोबाइल क्षेत्र में बड़ा दांव खेलने वाले ओसामु सुजूकी हमेशा किए जाएंगे याद
चालू वित्त वर्ष में अब तक प्रमुख जिंसों का निर्यात 5 फीसदी बढ़ा
भारतीय कमोडिटी के निर्यात में अब तेजी देखी जाने लगी है। चालू वित्त वर्ष के पहले 7 महीने में कुल कमोडिटी निर्यात में करीब है। कुछ गैर 5 फीसदी इजाफा हुआ बासमती चावल पर लगे प्रतिबंध से पहले कुल कमोडिटी निर्यात में सुस्ती देखी जा रही थी।
अपतटीय खनिज नीलामी की राह में कई चुनौतियाँ
कुल 13 ब्लॉकों में से गुजरात के तट के पास लाइम स्टोन के तीन जी3 ब्लॉकों में अनुमानित 171.2 करोड़ टन संसाधन मौजूद
सरकारी कंपनियों का सीएसआर पर खर्च 4 साल के उच्च स्तर पर
वित्त मंत्रालय द्वारा जारी सार्वजनिक उद्यमों के ताजा सर्वे के मुताबिक केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों (सीपीएसई) का कॉर्पोरेट सामाजिक दायित्व (सीएसआर) पर खर्च वित्त वर्ष 2024 में 19 प्रतिशत बढ़कर 4,911 करोड़ रुपये हो गया है।
आगाज पर चमके 5 कंपनियों के शेयर
शेयरधारकों को सूचीबद्धता पर 18 फीसदी से लेकर 159 फीसदी तक का फायदा हुआ
ईटीएफ, इंडेक्स फंड फोलियो बढ़े
इंडेक्स फंडों और एक्सचेंज-ट्रेडेड फंडों (ईटीएफ) ने 2024 में निवेश खातों में शानदार इजाफा दर्ज किया है। सेक्टोरल और थीमेटिक निवेश के प्रति उत्साह बढ़ने से इन फोलियो में तेजी देखने को मिली। इंडेक्स फंडों में निवेश खाते या फोलियो चालू कैलेंडर वर्ष के दौरान दोगुने होने की ओर हैं जबकि ईटीएफ में फोलियो पहले ही 37 प्रतिशत बढ़ चुके हैं, हालांकि दिसंबर के आंकड़े अभी बाकी हैं। नवंबर में समाप्त 11 महीनों के दौरान पैसिव निवेश खंड में प्रबंधन अधीन परिसंपत्तियां (एयूएम) 23 प्रतिशत बढ़कर 11 लाख करोड़ रुपये हो गईं।
दिसंबर के पहले पखवाड़े में ऋण-जमा 11.5 फीसदी बढ़ा
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा जारी आंकड़ों से पता चलता है कि 13 दिसंबर को समाप्त हुए पखवाड़े में ऋण वृद्धि ने रफ्तार पकड़ी है।