राष्ट्रीय शोक की वजह से नहीं हुआ कोई कार्यक्रम
■ अधिकतर मंत्रियों ने नरेंद्र मोदी के तीसरे कार्यकाल की अब तक की उपलब्धियों का ब्योरा साझा किया नए साल के पहले दिन होगी केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक
राष्ट्रीय राजधानी के सियासी गलियारों में नए साल की पूर्व संध्या पर आम दिनों के मुकाबले काफी शांति रही। आम तौर पर साल के अंतिम दिन सरकार की उपलब्धियों को प्रदर्शित करने वाले तमाम कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, मगर इस साल पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के निधन के कारण 7 दिन के राष्ट्रीय शोक के मद्देनजर ऐसा कोई कार्यक्रम आयोजित नहीं किया गया। केंद्र सरकार के सभी आधिकारिक कार्यक्रम सात दिनों के लिए रद्द कर दिए गए हैं और बीते साल की उपलब्धियों का बखान करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत सरकार की ओर से संदेश सोशल मीडिया के जरिये ही सामने आए।
साल 2024 के अंतिम दिन की शुरुआत नए साल में किए जाने वाले वादों के साथ हुई। सरकार ने 1 जनवरी को केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक की घोषणा की। इसके साथ ही यह तय हो गया कि सभी मंत्रियों के लिए साल का पहला दिन काफी व्यस्त रहने वाला है। कैबिनेट बैठक के कारण अफसरशाहों की स्थिति भी इससे अलग नहीं रहेगी। आम तौर पर मोदी सरकार साल के पहले कार्यदिवस पर अपने मंत्रिमंडल की बैठक आयोजित करती रही है।
कई शीर्ष मंत्री नए साल की पूर्व संध्या पर अपने काम में व्यस्त रहे। उदाहरण के लिए केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण बजट को लेकर बैठकों में व्यस्त रहीं। इसके अलावा उन्होंने नए साल के पहले दिन होने वाली कैबिनेट बैठक की तैयारी भी की। रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव भी वर्ष के आखिरी दिन अपने कार्यालय में मौजूद रहे और उन्होंने रेलवे यार्ड में तैनात फील्ड अधिकारियों से संपर्क किया जो ट्रैक प्रबंधन आदि से जुड़े होते हैं। वैष्णव ने वरिष्ठ प्रबंधन के साथ ही मौजूदा सिस्टम पर उनके फीडबैक को लेकर चर्चा की और साथ ही नई तकनीक दिखाई।
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पहली नजर में तो यह चुनाव जीतने का नया और शानदार सियासी नुस्खा नजर आता है। महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए नकद बांटो, परिवहन मुफ्त कर दो और सार्वजनिक स्थानों तथा परिवारों के भीतर सुरक्षा पक्की कर दो। बस, वोटों की झड़ी लग जाएगी। यहां बुनियादी सोच यह है कि महिला मतदाता अब परिवार के पुरुषों के कहने पर वोट नहीं देतीं। अब वे अपनी समझ से काम करती हैं और रोजगार, आर्थिक आजादी, परिवार के कल्याण तथा अपने अरमानों को ध्यान में रखकर ही वोट देती हैं।
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