सुरक्षा इंतजाम और सरकारी सिस्टम की अनदेखी । भास्कर ने 1 जनवरी 2022 से 27 मई 2024 तक बड़े निजी व सरकारी भवनों, नर्सिंग होम, शॉपिंग मॉल और फैक्टरियों में हुए आगजनी के बड़े हादसों की पड़ताल की तो पता चला कि इनमें 1,177 जानें जा चुकी हैं। इनकी जांच रिपोर्ट बताती हैं कि ज्यादातर इमारतों का फायर ऑडिट सालों से नहीं हुआ था, न ही सरकारी सिस्टम ने इनके आग से बचने के इंतजामों को जांचा-परखा। अग्नि सुरक्षा नियम, राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के दिशा-निर्देश और खुद केंद्र के अलग से फायर सेफ्टी के 10 नियम हैं, लेकिन कहीं भी इनका पूर्ण पालन नहीं होता। इसलिए आग से मौतों का आंकड़ा भी हर साल बढ़ रहा है। 2022 में जहां देशभर में 419 लोगों की जान गई थी, तो 2023 में यह बढ़कर 573 हो गईं। 2024 में अब तक 185 मौतें हो चुकी हैं।
Denne historien er fra May 31, 2024-utgaven av Dainik Bhaskar Mumbai.
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आमतौर पर लैपटॉप, मोबाइल और टीवी को हमारी आंखों की थकान के लिए जिम्मेदार ठहराया जाता है।