- नई दिल्ली घोषणा पत्र पर बनी सर्वसम्मति
- घोषणा पत्र में सभी 83 बिंदुओं पर मुहर
- अफ्रीकी यूनियन जी-20 का नया सदस्य
- ग्लोबल बायो फ्यूल्स अलायंस की हुई घोषणा
भारत ने न केवल अपनी धाक जमाई, बल्कि जी-20 शिखर सम्मेलन में गतिरोध को खत्म करते हुए समूह के सभी देशों को साझा घोषणा पत्र जारी करने के लिए। सहमत कर लिया। बैठक के पहले दिन के दूसरे सत्र में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने नई दिल्ली घोषणा पत्र जारी करने का प्रस्ताव किया, जिसे सभी देशों ने स्वीकृति दे दी। साझा घोषणा पत्र में यूक्रेन युद्ध का जिक्र नहीं है, बल्कि वहां समग्र और स्थायी शांति स्थापित करने की बात कही गई है। इसमें आह्वान किया गया है कि हर देश अंतरराष्ट्रीय कानून का पालन करते हुए दूसरे देश की क्षेत्रीय अखंडता, संप्रभुता एवं अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून का पालन करेगा, ताकि शांति व स्थिरता की सुरक्षा हो सके। साथ ही प्रधानमंत्री मोदी के वही शब्द दोहराए गए हैं, जो उन्होंने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से कहे थे। उन्होंने कहा था, 'यह युद्ध का काल नहीं है।'
देश की राजधानी स्थित प्रगति मैदान में नवनिर्मित भारत मंडपम में प्रधानमंत्री मोदी ने अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन, ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक, आस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंथनी अलबनिजी, जापान के प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा, चीन के प्रधानमंत्री ली क्यांग, इंडोनेशिया के राष्ट्रपति जोको विडोडो, सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान, ब्राजील के राष्ट्रपति लुइज लूला डी सिल्वा जैसे दिग्गज वैश्विक नेताओं का स्वागत किया। सम्मेलन में अध्यक्ष भारत के अलावा 19 देश और विशेष तौर पर आमंत्रित नौ देश व 14 वैश्विक संगठनों के प्रमुख शामिल हुए। दिनभर चले सम्मेलन में एक धरती, एक विश्व व एक भविष्य के साथ ही विकासशील एवं गरीब देशों के हितों को लेकर चर्चाएं हुईं और इस बारे में बतौर अध्यक्ष भारत ने जो प्रस्ताव रखे, उन पर विमर्श हुआ। नौ महीने में भारत की तरफ से जितने प्रस्ताव रखे गए, तकरीबन उन सभी पर सहमति बनी और उन्हें नई दिल्ली घोषणा पत्र में शामिल किया गया है। घोषणा पत्र के सभी 83 पैरा पर सहमति बनी। इसे ऐतिहासिक उपलब्धि माना जा रहा है, क्योंकि अंतिम समय तक कुछ विवाद की बातें सामने आ रही थीं।
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