पिछले लोकसभा चुनाव में केरल में लगभग क्लीन स्वीप करने वाली कांग्रेस को इस बार सीपीएम व भाजपा दोनों तरफ से चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। दोनों की कांग्रेस के वोटबैंक पर नजर है। सीपीएम जहां उसके मुस्लिम वोटबैंक में सेंध लगाने की कोशिश में है, वहीं भाजपा ईसाई मतदाताओं को साधने में जुटी है। दोतरफा चुनौतियों से निपटने के लिए कांग्रेस संभलसंभल कर कदम बढ़ा रही है। 2019 में राज्य में कांग्रेस अपने सहयोगियों के साथ 19 सीटें जीतने में सफल रही थी। सत्तारूढ़ सीपीएम के खाते में सिर्फ एक सीट आई थी। लोस की 20 सीटों वाले केरल में भाजपा अभी तक खाता नहीं खोल पाई है।
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