मनमोहन हमेशा अपने शांत स्वभाव और सादगी के लिए जाने गए। वो ना तो भाषणों में जो दिखाते थे और ना ही किसी विवाद में पड़ते थे। उनका काम ही उनकी पहचान था। मनमोहन सिंह ने भारत को आर्थिक संकट से उबारा और देश को दुनिया में नई पहचान दिलाई। उन्होंने साबित किया कि बिना शोर मचाए भी बड़े बदलाव किए जा सकते हैं। उनके निधन के साथ भारत ने एक ऐसा नेता खो दिया है, जिसने सादगी, ईमानदारी और कर्मठता से देश की सेवा की।
पहले सिख प्रधानमंत्री
मनमोहन सिंह 2004 से 2014 तक देश के प्रधानमंत्री थे। वह जवाहरलाल नेहरू, इंदिरा गांधी और नरेंद्र मोदी के बाद चौथे सबसे लंबे समय तक पीएम पद पर रहने वाले प्रधानमंत्री थे। मनमोहन सिंह भारत के पहले सिख प्रधानमंत्री भी थे।
पंजाब से ब्रिटेन तक का सफर
डॉ. सिंह ने 1948 में पंजाब यूनिवर्सिटी से अपनी मैट्रिक की शिक्षा पूरी की थी। पंजाब से वह ब्रिटेन की कैब्रिज यूनिवर्सिटी तक पहुंचे, जहां उन्होंने 1957 में अर्थशास्त्र में फर्स्ट क्लास ऑनर्स की डिग्री हासिल की। इसके बाद उन्होंने 1962 में ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के नफ़ील्ड कॉलेज से अर्थशास्त्र में डी.फिल की उपाधि हासिल की। मनमोहन सिंह ने पंजाब यूनिवर्सिटी और दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में पढ़ाया भी है।
कई सरकारी पदों पर किया काम
1971 में मनमोहन सिंह भारत सरकार के वाणिज्य मंत्रालय में आर्थिक सलाहकार के रूप में शामिल हुए। इसके तुरंत बाद 1972 में वित्त मंत्रालय में मुख्य आर्थिक सलाहकार के रूप में उनकी नियुक्ति हुई। वह जिन कई सरकारी पदों पर रहे उनमें वित्त मंत्रालय में सचिव, योजना आयोग के उपाध्यक्ष, भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर, प्रधानमंत्री के सलाहकार और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के अध्यक्ष भी शामिल है। मनमोहन सिंह 1991 से 1996 के बीच भारत के वित्तमंत्री भी रहे. आर्थिक सुधारों की एक व्यापक नीति शुरू करने में उनकी भूमिका को दुनिया भर में आज भी सराहा जाता है।
1991 में पहली बार पहुंचे राज्यसभा
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