उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को उस जनहित याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया, जिसमें केंद्र सरकार को देश में धोखे से किए जाने वाले धर्मांतरण को रोकने के लिए ठोस कदम उठाने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया था।
प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने सवाल किया कि अदालत को इन सबमें क्यों पड़ना चाहिए ? अदालत सरकार को परमादेश कैसे जारी कर सकती है।
Denne historien er fra September 07, 2023-utgaven av Jansatta.
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अर्थव्यवस्था पर विदेशी कर्ज का बोझ
विश्व बैंक की रपट के कुछ आंकड़े चिंता पैदा करते हैं। भारत पर बाहरी वित्तीय ऋण के ब्याज की लागत पिछले एक वर्ष में 90 फीसद से अधिक बढ़ गई है। वर्ष 2022-23 में ब्याज की लागत 23 फीसद के आसपास थी, जो अब 92 फीसद दर्ज हुई है।