प्रधानमंत्री ने 'कृत्रिम मेधा पर वैश्विक साझेदारी' (जीपीएआइ) शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि एआइ 21वीं सदी में विकास का सबसे बड़ा जरिया बन सकती है, लेकिन यह 21वीं सदी का विनाश करने की भी समान रूप से ताकत रखती है। प्रधानमंत्री ने कहा कि डीपफेक, साइबर सुरक्षा और डेटा चोरी की चुनौती के अलावा एआइ उपकरणों का आतंकवादियों के हाथों में पड़ना एक बड़ा खतरा है। अगर एआइ से लैस हथियार आतंकवादी संगठनों तक पहुंच गए तो वैश्विक सुरक्षा को एक बड़े खतरे का सामना करना पड़ेगा। हमें इसके बारे में गौर करना होगा और एआइ का दुरुपयोग रोकने के लिए एक ठोस योजना बनानी होगी।
Denne historien er fra December 13, 2023-utgaven av Jansatta.
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