पहले सत्ता में रहे लोगों को आती थी अपनी संस्कृति पर शर्म : प्रधानमंत्री
Jansatta|February 05, 2024
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को दावा किया कि आजादी के बाद सत्ता में रहे लोग पूजा स्थलों के महत्त्व को नहीं समझ सके और उन्होंने राजनीतिक वजहों से अपनी ही संस्कृति पर शर्मिंदा होने की प्रवृत्ति स्थापित की। गुवाहाटी में 11,600 करोड़ रुपए की परियोजनाओं का शिलान्यास और लोकार्पण करने के बाद एक रैली को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा कि कोई भी देश अपना इतिहास मिटाकर प्रगति नहीं कर सकता।
पहले सत्ता में रहे लोगों को आती थी अपनी संस्कृति पर शर्म : प्रधानमंत्री

केंद्र सरकार द्वारा 498 करोड़ रुपए की लागत से बनाए जा रहे कामाख्या मंदिर गलियारा परियोजना पर उन्होंने कहा कि इसके तैयार हो जाने के बाद बड़ी संख्या में श्रद्धालु इस 'शक्ति पीठ' में आएंगे और इससे पूरे पूर्वोत्तर के पर्यटन क्षेत्र को बढ़ावा मिलेगा। यह पूर्वोत्तर का प्रवेश द्वार बन जाएगा। हजारों वर्षों की चुनौतियों के बावजूद ये हमारी संस्कृति और हमने खुद को कैसे संरक्षित रखा है, इस बात के प्रतीक हैं। हमारी मजबूत संस्कृति का हिस्सा रहे इनमें से कई प्रतीक आजकल खंडहर बन गए हैं। उन्होंने कहा कि 'कामाख्या दिव्यलोक परियोजना' इस शक्ति पीठ की तीर्थयात्रा के अनुभव को बिल्कुल पलट देगी। 

प्रधानमंत्री ने कहा कि आजादी के बाद लंबे समय तक सरकार चलाने वाले लोग ऐसे धर्म स्थलों का महत्त्व नहीं समझ सके और उनकी उपेक्षा की। उन्होंने कहा कि राजनीतिक लाभ के कारण उन्होंने अपनी ही संस्कृति और इतिहास पर शर्मिंदा होने की प्रवृत्ति स्थापित की। कोई भी देश अपने इतिहास को भुलाकर तथा मिटाकर और अपनी जड़ों को काटकर विकसित नहीं हो सकता है।

Denne historien er fra February 05, 2024-utgaven av Jansatta.

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