खाने की बर्बादी एक ऐसी समस्या है, जिसका दंश भारत ही नहीं बल्कि दुनिया के कई देश झेल रहे हैं। ये तब और भी हास्यास्पद हो जाता है, जब दुनियाभर में करोड़ो लोग भूखे सोने को मजबूर हैं। भारत में भी ये समस्या लगातार गंभीर होते जा रही है। अब केंद्र सरकार ने इस समस्या पर काबू पाने के लिए राज्यों से स्कूली पाठ्यक्रम में भोजन की बर्बादी को रोकने के लिए अलग से एक अध्याय जोड़ने को कहा है।
जागरूकता मुहिम शुरू हो
अब खाने की बर्बादी को रोकने के लिए भारत सरकार ने सभी राज्यों को जागरूकता मुहिम शुरू करने का निर्देश दिया है। इसके तहत केंद्र सरकार ने सभी राज्यों को स्कूल के पाठ्यक्रम में फूड वेस्टेज की रोकथाम को लेकर एक चैप्टर शुरू करने को कहा है। केंद्र सरकार का मानना है कि सिलेबस में प्रिवेंशन ऑफ फूड वेस्टेज नाम से अध्याय शुरू करने से स्कूली छात्रों में खाने के सामानों की बर्बादी को रोकने को लेकर जागरूकता आएगी।
प्रिवेंशन ऑफ फूड वेस्टेज के नाम से चैप्टर
फूड वेस्टेज की रोकथाम को स्कूली सिलेबस में जोड़ने से जुड़ी जानकारी संसद में दी गई है। उपभोक्ता कार्य, खाद्य और सार्वजनिक वितरण राज्यमंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने लोकसभा में लिखित जवाब में ये जानकारी दी है। उन्होंने अपने जवाब में कहा है कि भोजन की बर्बादी रोकने के लिए लोगों को जागरूक करना बेहद जरूरी है और सरकार ने समय-समय पर प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के जरिए इसको लेकर प्रचार अभियान चलाया भी है। केंद्र सरकार का मानना है कि स्कूली सिलेबस में भोजन की बर्बादी की रोकथाम पर चैप्टर शामिल करने से युवा छात्रों को इस विषय पर संवेदनशील बनाया जा सकेगा।
भारत के लिए है बड़ी चुनौती
सवाल उठता है कि क्या सिर्फ स्कूली पाठ्यक्रम में अलग से चैप्टर जोड़कर इस समस्या से लड़ा जा सकता है। इसके लिए ये समझना होगा कि भारत के लिए खाने की बर्बादी कितनी बड़ी चुनौती है। भोजन बर्बादी के मामले में भारत के लिए अच्छी तस्वीर निकल कर नहीं आती है। भारत में भोजन की बर्बादी को लेकर यूएनईपी के फूड वेस्ट इंडेक्स रिपोर्ट के आकलन से निकलने वाले आंकड़े चौंकाने वाले हैं।
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