कानून बनाने वाले का उद्देश्य केवल इसे उसी तरह से लागू करना है जैसे कि यह एक डिक्री हो। इस मामले में पक्षकारों द्वारा उठाए गए तर्कों पर विचार करते हुए, सुप्रीम कोर्ट ने थॉमस जॉब बनाम थॉमस 2003 (3) KLT 936 में केरल हाईकोर्ट के फैसले पर ध्यान दिया, जिसमें यह विचार था कि कल्पना के किसी भी खिंचाव से यह नहीं माना जा सकता है कि एक धारा 21 में सृजित कानूनी कल्पना के बावजूद लोक अदालत द्वारा पारित अवार्ड को सिविल कोर्ट द्वारा पारित समझौता डिक्री माना जा सकता है। इसने इस प्रकार कहा-
लोक अदालत द्वारा पारित एक अवार्ड समझौता डिक्री नहीं है। लोक अदालत द्वारा बिना किसी और चीज के पारित किए गए एक अवार्ड को अन्य बातों के साथ-साथ एक डिक्री के रूप में माना जाना चाहिए। हम पी टी थॉमस (सुप्रा) में केरल हाईकोर्ट के विद्वान एकल न्यायाधीश के विचार को स्वीकार करेंगे।
एक अवार्ड जब तक उचित कायज़्वाही में सफलतापूर्वक सवाल नहीं किया जाता है, अपरिवतज्नीय और गैर मिथ्या हो जाता है। सिविल प्रक्रिया संहिता के आदेश XXIII के तहत आने वाले समझौते के मामले में, समझौते की शर्तों के लिए अपने विवेक को लागू करना न्यायालय का कर्तव्य बन जाता है। बिना किसी और बात के, पक्षकारों के बीच हुए समझौते में न्यायालय की छाप नहीं होती है। यह समझौता डिक्री तभी बनती है जब संहिता में प्रक्रियाओं का पालन किया जाता है।
अदालत ने कहा कि धारा 20 के तहत लोक अदालत का अधिकार क्षेत्र किसी मामले में पक्षों के बीच विवादों के निपटारे की सुविधा प्रदान करना है।
इसकी कोई न्यायिक भूमिका नहीं है। यह केवल इतना कर सकता है कि एक वास्तविक समझौता या निपटारा किया जाए। धारा 20 की उप-धारा (4) महत्वपूर्ण है क्योंकि कानून निर्माता ने इसे लोक अदालत के लिए आदर्श सिद्धांत निर्धारित किया है। सिद्धांत न्याय, समानता, निष्पक्ष खेल और अन्य कानूनी सिद्धांत हैं।
Denne historien er fra 09 August 2023-utgaven av Rising Indore.
Start din 7-dagers gratis prøveperiode på Magzter GOLD for å få tilgang til tusenvis av utvalgte premiumhistorier og 9000+ magasiner og aviser.
Allerede abonnent ? Logg på
Denne historien er fra 09 August 2023-utgaven av Rising Indore.
Start din 7-dagers gratis prøveperiode på Magzter GOLD for å få tilgang til tusenvis av utvalgte premiumhistorier og 9000+ magasiner og aviser.
Allerede abonnent? Logg på
प्राधिकरण की योजनाओं का इंपैक्ट एनालिसिस करें
रोजगार बढ़ाने वाली, शिक्षा, खेल व सेहत की सुविधा पर भी काम हो
पहली रात में सफेद चादर पर नहीं गिरा खून तो उठा सवाल
महिला की वर्जिनिटी पर सवाल उठाने के कारण मुकदमा दर्ज
सुगम ट्रैफिक के लिए शहर के 11 व्यस्त चौराहों का परीक्षण
रिपोर्ट बताएंगी की इन चौराहों पर क्या हो सकता है
15000 करोड़ की संपत्ति पर भोपाल में होगा सरकार का कब्जा...
भोपाल में पटौदी खानदान की 15 हजार करोड़ की संपत्ति जल्द ही सरकारी कब्जे में आ सकती है। शत्रु संपत्ति अधिनियम के तहत ये संपत्ति सरकार ले सकती है।
भोपाल में बना पोने 3 किलोमीटर का ब्रिज 121 करोड़ का ब्रिज 4 साल में बनकर हुआ तैयार
भोपाल के सबसे लंबे जीजी (गणेश मंदिर से गायत्री मंदिर तक) फ्लाई ओवर का काम पूरा हो गया है। पौने 3 किमी लंबा यह ब्रिज 121 करोड़ रुपए की लागत से बना है। 15 दिन में थर्ड आर्म यानी, तीसरी भुजा और सर्विस लेन भी पूरी हो गई है। इस ब्रिज का उद्घाटन केंद्रीय मंत्री नितिन गड़करी कर सकते हैं।
निगम पुनर्वास का वादा करके भी पूरा नहीं कर रहा है वादा
मेघदूत उपवन चौपाटी को लेकर विवाद के हालात
महाकुंभ में कत्थई आंखों वाली मोनालिसा की तस्वीर हुई वायरल
प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ में पहले मध्यप्रदेश की हर्षा रिछारिया ने अपनी खूबसूरती से सबका ध्यान खींच लिया था।
कुत्ते ने लिया बदला, 11 घंटे में मालिक को ढूंढ़ा फिर कार में मारी खरोंचे ही खरोंचे
1985 में रिलीज अभिनेता जैकी श्रॉफ की फिल्म 'तेरी मेहरबानिया' देखी होगी। इसमें अभिनेता की मौत के बाद उसका कुत्ता बदला लेता है।
मध्य प्रदेश में संस्कारों की पाठशाला, पढ़ाई के साथ सीख रहे गुड मैनर्स
मध्य प्रदेश के जबलपुर जिले एक सरकारी स्कूल में एक अनोखा प्रयोग चल रहा है। इस प्रयोग की वजह से न सिर्फ बच्चों का व्यवहार बदला है, बल्कि उनके जीवन में अनुशासन आया है। वह पढ़ाई के प्रति ज्यादा सजग हो गए हैं। उनका स्वास्थ्य सुधार हो रहा है और स्कूल का वातावरण भी सुधर रहा है।
इंदौर एयरपोर्ट पर - 399 का पोहा, 190 की चाय महंगे दामों ने यात्रियों के होश उड़ाए
इंदौर एयरपोर्ट पर हाल ही में एक यात्री द्वारा शेयर किए गए खाने-पीने की चीजों के रेट्स ने एयरपोर्ट पर महंगे खानपान को लेकर नई बहस छेड़ दी है।