वाणिज्यिक लेनदेन उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के दायरे से बाहर : सुप्रीम कोर्ट
Rising Indore|17 April 2024
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जिस निवेश से शिकायतकर्ता ब्याज के रूप में लाभ प्राप्त कर रहा है, उसकी वसूली की मांग करने वाली शिकायतों पर उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के तहत विचार नहीं किया जा सकता | यह वाणिज्यिक लेनदेन (निवेश) है और इसलिए 1986 अधिनियम के दायरे से बाहर ही होगा।
संजय मेहरा
वाणिज्यिक लेनदेन उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के दायरे से बाहर : सुप्रीम कोर्ट

वाणिज्यिक विवादों का निर्णय 1986 अधिनियम के तहत समरी कार्यवाही में नहीं किया जा सकता, लेकिन शिकायतकर्ता परिवादी के पास प्रतिवादी उक्त राशि की वसूली के लिए उचित उपाय सिविल कोर्ट के समक्ष दावा प्रस्तुत करना होगा। इसलिए उक्त शिकायत सुनवाई योग्य नहीं है। राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (NCDRC) के फैसले के खिलाफ अपीलकर्ताओं (फर्म के भागीदार के कानूनी उत्तराधिकारी) द्वारा दायर सिविल अपील पर फैसला करते समय सुप्रीम कोर्ट द्वारा लिखे गए फैसले में उपरोक्त टिप्पणी की। मामला अपीलकर्ता (ओं) द्वारा प्रतिवादी नंबर 1 निवेश राशि का कथित भुगतान न करने से संबंधित प्रतिवादी ने साझेदारी फर्म में लाख रुपये का निवेश किया, जिसमें अपीलकर्ता का पति भागीदार है, प्रतिवादी को रुपए 5 लाख पर 18 प्रतिशत प्रति वर्ष की दर से ब्याज के साथ 120 महीने मैं राशि का भुगतान करना था । प्रतिवादी नंबर 1 ने निवेशित राशि को समय से पहले जारी करने की मांग की, लेकिन उसे परिपक्वता अवधि तक इंतजार करने के लिए कहा गया। हालांकि, जब परिपक्वता अवधि समाप्त होने के बाद भी राशि वापस नहीं की गई तो उन्होंने उक्त राशि की मांग करते हुए करते हुए उपभोक्ता आयोग में शिकायत दर्ज की।

Denne historien er fra 17 April 2024-utgaven av Rising Indore.

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बीआरटीएस के पांच चौराहों पर यातायात का सर्वे करेगा प्राधिकरण
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इंदौर विकास प्राधिकरण के द्वारा बीआरटीएस के चौराहों पर यातायात का सर्वे किया जाएगा। इस सर्वे की रिपोर्ट के आधार पर इन चौराहों पर ब्रिज का निर्माण होगा। सरकार के द्वारा एलिवेटेड कॉरिडोर की योजना रद्द करने के बाद अब एक नई योजना आकार ले रही है। राज्य सरकार के द्वारा बीआरटीएस कॉरिडोर पर 5 चौराहे पर छोटे ब्रिज का निर्माण करने का सिद्धांत लिया गया है। इस फैसले के परिणाम स्वरूप अब इंदौर विकास प्राधिकरण के द्वारा इस कॉरिडोर के पास चौराहे पर यातायात का सर्वे कराया जाएगा।

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11 September 2024
फ्रीबीज पर खर्च हो रहे 22 हजार करोड़ कमाई का 10% ब्याज में जा रहा
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मध्यप्रदेश विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार शिक्षक दिवस के मौके पर 5 सितंबर को धार जिले के जीराबाद गांव के सरकारी स्कूल पहुंचे थे। कार्यक्रम के बाद जब वे जाने लगे तो इसी स्कूल की पूर्व छात्रा तानिया मालवीय ने उनकी गाड़ी रोक ली।

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मध्यप्रदेश की उन विधानसभा सीटों पर, जहां भाजपा पिछले कई चुनावों से हार रही है, पार्टी ने 2026 में होने वाले परिसीमन के जरिए जीत सुनिश्चित करने की रणनीति तैयार कर ली है। इसके लिए भाजपा ने जमीनी स्तर पर काम करना शुरू कर दिया है। परिसीमन के बाद, एक विधानसभा क्षेत्र में अधिकतम दो से सवा दो लाख मतदाताओं के आधार पर सीटों का पुनर्गठन किया जाएगा, जिससे प्रदेश की मौजूदा 230 विधानसभा सीटों की संख्या बढ़कर 275 से 280 तक पहुंच सकती है। भोपाल जिले में भी सीटों की संख्या 6 से बढ़ाकर 10 तक करने की संभावना है।

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जमानत के आवेदनों पर शीघ्र सुनवाई न्यायालय को करना चाहिए...
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शहर के सीमावर्ती क्षेत्रों में नए थाने की जरुरत महसूस हो रही है। मुख्यमंत्री मोहन यादव ने रविवार को इंदौर से जुड़े विकास कार्यों व प्रोजेक्टों को लेकर चर्चा की थी। इसमें पुलिस विभाग के आला अफसरों ने भी नए थानों की जरूरत बताई है।

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अरे यह तो कमाल हो गया...
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दोष किसका दोषी कौन?
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इंदौर में लगभग 35 वर्ष पूर्व कैलाश विजयवर्गीय जी द्वारा पहले विधानसभा क्षेत्र 4 और फिर विधानसभा क्षेत्र 2 को भाजपा का गढ़ बनाने के बाद से लगभग सत्ता केंद्र भाजपा के हाथ में है। इन दोनों ही अजेय निर्वाचन क्षेत्र में स्थाई रूप से गौड़ एवं विजयवर्गीय परिवार का कब्जा है। इतना ही नहीं अन्य विधानसभा क्षेत्र में भी विजयवर्गीय समर्थक ही काबिज है। उस पर संघ ठन के लोगों का लगातार सक्रिय रहना यह बताता है कि भाजपा की मुख्य पाठशाला यह शहर है।

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11 September 2024
जब निष्ठा पर उठी उंगली तो देना पड़ा इस्तीफा...
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इंदौर विकास प्राधिकरण के द्वारा नई घोषित की गई अहिल्यापथ योजना में प्राधिकरण के जिस अधिकारी के निष्ठा पर उंगली उठी उसे आखिरकार इस्तीफा देना पड़ा है। इसके साथ ही इस सड़क को लेकर शुरू हुए विवाद में एक नया मोड़ आ गया और अब अनैतिकता के आरोपों पर विराम लगने की स्थिति बन गई है। वैसे कलेक्टर आशीष सिंह और प्राधिकरण के मुख्य कार्यपालन अधिकारी राम प्रकाश अहिरवार की पहल से पहले ही मंजूरी प्राप्त नक्शे बेमतलब हो गए थे।

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