मध्यप्रदेश सरकार के द्वारा हाल ही में मध्यप्रदेश नगर पालिक निगम अधिनियम में संशोधन किया गया है। अचानक सरकार की ओर से किए गए इस संशोधन को लेकर यह सवाल उठने लगे हैं कि आखिर ऐसी क्या जल्दबाजी थी जो सरकार ने ताबड़तोड़ तरीके से यह संशोधन कर दिया। इस सिलसिले में अब जब खोजबीन की गई तो यह तथ्य सामने आया कि सरकार ने भाजपा में उभर रहे विरोध को दबाने के लिए कानून में बदलाव किया है।
मध्यप्रदेश सरकार ने नगरीय निकायों में अविश्वास प्रस्ताव दो साल की बजाय तीन साल में लाने का फैसला लिया है। जब इसकी पड़ताल की तो पता चला कि इसकी वजह विपक्ष या कांग्रेस के नेता नहीं बल्कि बीजेपी के ही नेता हैं, जो अपने पसंद के अध्यक्षों को कुर्सी पर बैठाना चाहते हैं। इसके जरिए वे शहर सरकार पर कब्जा जमाना चाहते हैं।
ये नेता अध्यक्षों के दो साल का कार्यकाल पूरा होने का इंतजार कर रहे थे, ताकि अविश्वास प्रस्ताव लाकर उन्हें कुर्सी से हटाया जा सके। सरकार को इनके मंसूबों की भनक लग गई और कैबिनेट बैठक में आनन-फानन में प्रस्ताव लाकर इन मंसूबों पर पानी फेरा गया है। अंदरूनी सूत्रों से सरकार को ये भी पता चला कि अविश्वास प्रस्ताव के लिए पार्षदों का समर्थन हासिल करने खरीद-फरोख्त की भी तैयारी की जा रही थी। ऐसा होता तो प्रदेश भर में पार्टी में खलबली मचना तय था।
हालांकि, कैबिनेट बैठक में इस प्रस्ता के आने से पहले कई नगरीय निकायों में अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दिया जा चुका है। अब सरकार इन प्रस्तावों को मैनेज करने में जुटी है। सात कहानियों से समझिए, किस तरह से बीजेपी के ही नेता अपने नेताओं को कुर्सियों पर बैठाने की जुगत भिड़ा रहे थे।
खास बात ये है कि इन सात में से पांच निकायों में महिला अध्यक्ष कुर्सी पर बैठी हैं और उनके पतियों के हाथ में निकाय की बागडोर है। ये भी बताएंगे कि जहां अविश्वास प्रस्ताव आ चुके हैं, वहां आगे क्या होगा।
केवलारी नगर परिषदः यहां 'अध्यक्ष पति' अविश्वास की असली वजह
Denne historien er fra 28 August 2024-utgaven av Rising Indore.
Start din 7-dagers gratis prøveperiode på Magzter GOLD for å få tilgang til tusenvis av utvalgte premiumhistorier og 9000+ magasiner og aviser.
Allerede abonnent ? Logg på
Denne historien er fra 28 August 2024-utgaven av Rising Indore.
Start din 7-dagers gratis prøveperiode på Magzter GOLD for å få tilgang til tusenvis av utvalgte premiumhistorier og 9000+ magasiner og aviser.
Allerede abonnent? Logg på
यूनियन कार्बाइड के कचरे की अंतर्राष्ट्रीय प्रयोगशाला में जांच कराएं
कचरे को नष्ट करने से पहले जनता को विश्वास में लेना जरूरी
दिल्ली चुनावः झुग्गीवालों का एकतरफा वोट जिस तरफ जाता है, वह सत्ता पर हो जाता है काबिज
दिल्ली में झुग्गी-क्लस्टर के दिन भले ही नहीं बदल रहे हैं, मगर राजनीतिक दलों के लिए सत्ता का रास्ता इन्हीं झुग्गियों से होकर जाता है। झुग्गीवालों का एकतरफा वोट जिस तरफ जाता है, वही दल सत्ता में काबिज होता रहा है। दिल्ली चुनाव हैं तो झुग्गियों में फिर से राजनीतिक दलों का जमावड़ा शुरू हो गया है।
बसपा ने की चुनाव न लड़ने की घोषणा अब सपा और भाजपा में सीधी टक्कर
बहुजन समाज पार्टी अयोध्या की मिल्कीपुर विधानसभा सीट पर होने वाला उपचुनाव नहीं लड़ेगी।
दुर्घटना के बाद 1 घंटे में उपलब्ध कराएं कैशलेस इलाज
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया कि मोटर वाहन अधिनियम के तहत सड़क हादसे के पीड़ितों को एक घंटे के भीतर यानी गोल्डन ऑवर में कैशलेस इलाज उपलब्ध कराने के लिए 14 मार्च तक योजना बनाए।
सड़क हादसे के पीड़ितों को तुरंत मिले कैशलेस इलाज-सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को सड़क हादसों के शिकार लोगों के गोल्डन ऑवर के दौरान कैशलेस इलाज की योजना बनाने का आदेश दिया । यह योजना 14 मार्च, 2025 तक लागू होनी चाहिए और यह संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत जीवन के अधिकार की रक्षा करती है।
बीमारियों से दूर रहना है तो रोजाना दूध में डालकर पिए हल्दी और काली मिर्च हर कोई पूछेगा आपकी सेहत का राज!
डॉ आरती मेहरा ने बताया कि हल्दी और काली मिर्च वाला दूध एक स्वादिष्ट और स्वस्थ पेय है जो कई स्वास्थ्य लाभ प्रदान कर सकता है। यह एंटीऑक्सिडेंट, एंटी-इंफ्लेमेटरी और प्रतिरक्षा-बढ़ाने वाले गुणों से भरपूर है, जो इसे विभिन्न स्वास्थ्य स्थितियों के लिए एक शक्तिशाली प्राकृतिक उपचार बनाता है।
रीगल चौराहा से गुजर कर तो दिखा दो...
वैसे तो पूरे इंदौर शहर के नागरिक ही कुत्तों के आतंक से हैरान परेशान है। समय दिन का हो या रात का, उससे कोई फर्क नहीं पड़ता है।
प्राधिकरण की जमीन बाजार में बिक गई प्राधिकरण के अधिकारियों को मालूम ही नहीं पड़ा
इंदौर विकास प्राधिकरण के द्वारा अधिग्रहित की गई जमीन फर्जी दस्तावेजों के आधार पर बाजार में बिक गई। प्राधिकरण के अधिकारियों को इस बात की जानकारी ही नहीं हो सकी। इस मामले में जब हाल ही में सीएम हेल्पलाइन में शिकायत हुई तो पूरे मामले की पोल खुलकर सामने आ गई।
गोदरेज ग्रुप ने इंदौर में ली 406 करोड़ की जमीनें, दो सौदों में ली 71 एकड़
गोदरेज ग्रुप ने इंदौर के रियल सेक्टर में पांव पसारना शुरू कर दिए हैं। ग्रुप द्वारा गुरुवार नौ जनवरी को 206 करोड़ का सौदा पूरा किया और राशि का भुगतान कर 24.30 एकड़ जमीन अपने नाम कराई।
बस टर्मिनल के संचालन की शर्तें 22 लाख में बनेंगी
दिल्ली की फॉर्म को दिया शर्त बनाने का काम