अपनी मशहूर पुस्तक 'भारत विभाजन के गुनहगार' में डॉ. राममनोहर लोहिया ने लिखा है, "भारत अक्सर अपनी अल्पजातियों, मुस्लिम, ईसाई और पारसी की सुरम्य आखेट- भूमि जैसा लगा है और हिंदू, जिन्हें और कहीं जाना नहीं है, कभी-कभी ऐसा लगता है, जैसे उन्हें अपने ही घर से निकाल दिया गया हो। कभी-कभी ऐसा लगा कि भारत हिंदुओं के अलावा और दूसरे सभी का है।'' 1950 के दशक में लिखी गई इन पंक्तियों में लोहिया उस ऐतिहासिक यथार्थ का वर्णन कर रहे थे, जो वर्तमान में भी यथावत है।
बीते दिनों जब राष्ट्र श्रीकृष्ण जन्मोत्सव के उल्लास में डूबा हुआ था, तब दिल्ली में राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति पर एक सम्मेलन का आयोजन किया गया। विषय अत्यंत चिंताजनक था- सीमावर्ती राज्यों में तेजी से जनसांख्यिकीय परिवर्तन। इस सम्मेलन में देश के पुलिस बलों के शीर्ष अधिकारी शामिल हुए। सम्मेलन को संबोधित करते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा, “सीमावर्ती राज्यों के पुलिस प्रमुखों को सीमा के आसपास के इलाकों में हो रहे जनसांख्यिकीय परिवर्तन पर नजर रखनी चाहिए। यह पुलिस महानिदेशकों की जिम्मेदारी है कि वे अपने राज्य में, खासकर सीमावर्ती जिलों में सभी तरह की तकनीकी और रणनीतिक जानकारी एकत्र करें। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2014 के बाद से न केवल देश की आंतरिक सुरक्षा पर जोर दिया है, बल्कि चुनौतियों का सामना करने के लिए तंत्र को भी मजबूत किया है। राज्यों को राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मुद्दों को सर्वोच्च प्राथमिकता देनी चाहिए।"
सीमावर्ती इलाकों में 32 प्रतिशत बढ़े मुस्लिम
Denne historien er fra September 04, 2022-utgaven av Panchjanya.
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शिक्षा, स्वावलंबन और संस्कार की सरिता
रुद्रपुर स्थित दूधिया बाबा कन्या छात्रावास में छात्राओं को निःशुल्क शिक्षा के साथ-साथ संस्कार और स्वावलंबन का पाठ पढ़ाया जा रहा। इस अनूठे छात्रावास के कार्यों से अनेक लोग प्रेरणा प्राप्त कर रहे
शिवाजी पर वामंपथी श्रद्धा!!
वामपंथियों ने छत्रपति शिवाजी की जयंती पर भाग्यनगर में उनका पोस्टर लगाया, तो दिल्ली के जेएनयू में इन लोगों ने शिवाजी के चित्र को फाड़कर फेंका दिया। इस दोहरे चरित्र के संकेत क्या हैं !
कांग्रेस के फैसले, मर्जी परिवार की
कांग्रेस में मनोनीत लोगों द्वारा 'मनोनीत' फैसले लिये जा रहे हैं। किसी उल्लेखनीय चुनावी जीत के बिना कांग्रेस स्वयं को विपक्षी एकता की धुरी मानने की जिद पर अड़ी है जो अन्य को स्वीकार्य नहीं हैं। अधिवेशन में पारित प्रस्ताव बताते हैं कि पार्टी के पास नए विचार के नाम पर विफलताओं का जिम्मा लेने के लिए खड़गे
फूट ही गया 'ईमानदारी' का गुब्बारा
अरविंद केजरीवाल सरकार की 'कट्टर ईमानदारी' का ढोल फट चुका है। उनकी कैबिनेट के 6 में से दो मंत्री सलाखों के पीछे। शराब घोटाले में सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय की जांच की आंच कभी भी केजरीवाल तक पहुंच सकती है
होली का रंग तो बनारस में जमता था
होली के मौके पर होली गायन की बात न चले यह मुमकिन नहीं। जब भी आपको होली, कजरी, चैती याद आएंगी, पहली आवाज जो दिमाग में उभरती है उसका नाम है- गिरिजा देवी। वे भारतीय संगीत के उन नक्षत्रों में से हैं जिनसे हिन्दुस्थान की सुबहें आबाद और रातें गुलजार रही हैं। उनका ठेठ बनारसी अंदाज। सीधी, खरी और सधुक्कड़ी बातें, लेकिन आवाज में लोच और मिठास। आज वे हमारे बीच नहीं हैं। अब उनके शिष्यों की कतार हिन्दुस्थानी संगीत की मशाल संभाल रही है। गिरिजा देवी से 2015 में पाञ्चजन्य ने होली के अवसर पर लंबी वार्ता की थी। इस होली पर प्रस्तुत है उस वार्ता के खास अंश
आनंद का उत्कर्ष फाल्गुन
भक्त और भगवान का एक रंग हो जाना चरम परिणति माना जाता है और इसी चरम परिणति की याद दिलाने प्रतिवर्ष आता है धरती का प्रिय पाहुन फाल्गुन। इसीलिए वसंत माधव है। राधा तत्व वह मृदु सलिला है जो चिरंतन है, प्रवाहमान है
नागालैंड की जीत और एक मजबूत भाजपा
नेफ्यू रियो 5वीं बार नागालैंड के मुख्यमंत्री बनने जा रहे हैं।
सूर्योदय की धरती पर फिर खिला कमल
त्रिपुरा और नागालैंड की जनता ने शांति, विकास और सुशासन के भाजपा के तरीके पर अपनी स्वीकृति की मुहर लगाई है। मेघालय में भी भाजपा समर्थित सरकार बनने के पूरे आसार। कांग्रेस और वामदल मिलकर लड़े, लेकिन बुरी तरह परास्त हुए और त्रिपुरा में पैर पसारने की कोशिश करने वाली तृणमूल कांग्रेस को शून्य से संतुष्ट होना पड़ा
जीवनशैली ठीक तो सब ठीक
कोल्हापुर स्थित श्रीक्षेत्र सिद्धगिरि मठ में आयोजित पंचमहाभूत लोकोत्सव का समापन 26 फरवरी को हुआ। इस सात दिवसीय लोकोत्सव में लगभग 35,00,000 लोग शामिल हुए। इन लोगों को पर्यावरण को बचाने का संकल्प दिलाया गया
नाकाम किए मिशनरी
भारत के इतिहास में पहली बार बंजारा समाज का महाकुंभ महाराष्ट्र के जलगांव जिले के गोद्री ग्राम में संपन्न हुआ। इससे पहली बार भारत और विश्व को बंजारा समाज, संस्कृति एवं इतिहास के दर्शन हुए। एक हजार से भी ज्यादा संतों और 15 लाख श्रद्धालुओं ने इसमें भाग लिया। इससे बंजारा समाज को हिन्दुओं से अलग करने और कन्वर्ट करने की मिशनरियों की साजिश नाकाम हो गई