भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है। परंतु आर्थिक क्षेत्र में भारत की छवि स्वतंत्रता के पश्चात एक विकासशील, या यूं कहें, पिछड़े देश की रही। इसीलिए जब विश्व में मैनेजमेंट कंसल्टेंसी के लिए मशहूर कंपनी मैकेंजी एण्ड कंपनी के सीईओ बॉब स्टर्नफेल्स ने कहा कि 'आने वाला दशक ही नहीं बल्कि आने वाली सदी भारत की है' तो दुनिया भर के देशों का आंखें चौड़ी हो गईं। चीन और पाकिस्तान तो तिलमिला उठे।
स्टर्नफेल्स यह क्यों कह रहे हैं? वे स्वयं बताते हैं कि भारत में विकास के सभी प्रमुख तत्व मौजूद हैं। एक बड़ी कामकाजी जनसंख्या, वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं की पुनर्कल्पना करने वाली बहुराष्ट्रीय कंपनियां इस समय भारत में ही हैं। भारत एक ऐसा देश बन चुका है जो डिजिटल पैमाने पर छलांगें लगा रहा है। इससे न केवल भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए, बल्कि दुनिया के लिए कुछ विशेष हासिल होगा।
यूरेशिया ग्रुप के संस्थापक चेयरमैन इयान ब्रेमर ने 'द इकोनॉमिस्ट' जैसे मीडिया में एक विशेष आलेख में बताया है कि 2032 में वैश्विक क्रम (वर्ल्ड ऑर्डर) क्या होगा। ब्रेमर इस लेख के पहले वाक्य में ही कहते हैं कि 21वीं सदी के संघर्ष को देखें तो यह पूर्व और पश्चिम का संघर्ष दिखाई देता है लेकिन अगले दस सालों में पश्चिमी दुनिया को वैश्विक दक्षिण से सबसे ज्यादा खतरे और चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा। लेख समाप्त करने से ऐन पहले ब्रेमर कहते हैं कि इस वैश्विक दक्षिण का नेतृत्व भारत करेगा। वैश्विक दक्षिण में उन्होंने एशिया, अफ्रीका, लैटिन अमेरिका और प्रशांत क्षेत्र को शामिल किया है।
यानी, दुनिया की उम्मीदें अब भारत से हैं।
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