देश - दुनिया में अपने शिक्षा मॉडल का ढिंढोरा पीटने वाली दिल्ली सरकार से 12 कॉलेज नहीं संभल रहे। दिल्ली सरकार इन कॉलेजों के प्राध्यापकों और कर्मचारियों को वेतन तक नहीं दे पा रही है। जुलाई में दिल्ली विश्वविद्यालय के अंतर्गत आने वाले दीनदयाल उपाध्याय कॉलेज के सहायक प्राध्यापकों के वेतन में 30 हजार से 50 हजार रुपये की कटौती कर दी गई। वेतन में कटौती केवल दीनदयाल उपाध्याय कॉलेज तक सीमित नहीं है, बल्कि दिल्ली विश्वविद्यालय के अंतर्गत आने वाले और दिल्ली सरकार द्वारा वित्त पोषित सभी 12 कॉलेजों की यही स्थिति है। इन कॉलेजों के प्राध्यापकों को लंबे समय से पदोन्नति भी नहीं दी गई है।
इसे लेकर दिल्ली विश्वविद्यालय शिक्षक संघ (डूटा) और दूसरे शिक्षक संगठन अलग-अलग मंचों और उपराज्यपाल के समक्ष इस मुद्दे को उठाते आ रहे हैं। भाजपा के राज्यसभा सांसद राकेश सिन्हा भी शिक्षकों के एक प्रतिनिधिमंडल के साथ अरविंद केजरीवाल को ज्ञापन देने गए थे। लेकिन जनप्रतिनिधियों के अधिकार और सम्मान की बात करने वाले दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल ने सांसद से मिलना तक जरूरी नहीं समझा। अकादमिक परिषद के सदस्य और शहीद भगत सिंह कॉलेज में प्राध्यापक डॉ. अरुण अत्री कहते हैं, "संवाद होना चाहिए। जब तक केजरीवाल शिक्षकों की समस्या नहीं सुनेंगे, इसे दूर कैसे करेंगे? शिक्षकों का अपना परिवार है, बच्चों की स्कूल फीस है, परिवार में लोग बीमार पड़ते हैं। ईएमआई का बोझ है। यदि समय पर पूरा वेतन नहीं मिलेगा, तो शिक्षकों का परिवार कैसे चलेगा?" वे बताते हैं कि दिल्ली सरकार के एक कॉलेज की महिला प्राध्यापक ने मासिक किस्त पर एक एसयूवी खरीदी थी। लेकिन केजरीवाल सरकार की वेतन रोको नीति की वजह से ईएमआई चुकाना मुश्किल हो गया। नतीजा, उन्हें अपनी गाड़ी बेचनी पड़ी।
Denne historien er fra October 02, 2022-utgaven av Panchjanya.
Start din 7-dagers gratis prøveperiode på Magzter GOLD for å få tilgang til tusenvis av utvalgte premiumhistorier og 9000+ magasiner og aviser.
Allerede abonnent ? Logg på
Denne historien er fra October 02, 2022-utgaven av Panchjanya.
Start din 7-dagers gratis prøveperiode på Magzter GOLD for å få tilgang til tusenvis av utvalgte premiumhistorier og 9000+ magasiner og aviser.
Allerede abonnent? Logg på
शिक्षा, स्वावलंबन और संस्कार की सरिता
रुद्रपुर स्थित दूधिया बाबा कन्या छात्रावास में छात्राओं को निःशुल्क शिक्षा के साथ-साथ संस्कार और स्वावलंबन का पाठ पढ़ाया जा रहा। इस अनूठे छात्रावास के कार्यों से अनेक लोग प्रेरणा प्राप्त कर रहे
शिवाजी पर वामंपथी श्रद्धा!!
वामपंथियों ने छत्रपति शिवाजी की जयंती पर भाग्यनगर में उनका पोस्टर लगाया, तो दिल्ली के जेएनयू में इन लोगों ने शिवाजी के चित्र को फाड़कर फेंका दिया। इस दोहरे चरित्र के संकेत क्या हैं !
कांग्रेस के फैसले, मर्जी परिवार की
कांग्रेस में मनोनीत लोगों द्वारा 'मनोनीत' फैसले लिये जा रहे हैं। किसी उल्लेखनीय चुनावी जीत के बिना कांग्रेस स्वयं को विपक्षी एकता की धुरी मानने की जिद पर अड़ी है जो अन्य को स्वीकार्य नहीं हैं। अधिवेशन में पारित प्रस्ताव बताते हैं कि पार्टी के पास नए विचार के नाम पर विफलताओं का जिम्मा लेने के लिए खड़गे
फूट ही गया 'ईमानदारी' का गुब्बारा
अरविंद केजरीवाल सरकार की 'कट्टर ईमानदारी' का ढोल फट चुका है। उनकी कैबिनेट के 6 में से दो मंत्री सलाखों के पीछे। शराब घोटाले में सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय की जांच की आंच कभी भी केजरीवाल तक पहुंच सकती है
होली का रंग तो बनारस में जमता था
होली के मौके पर होली गायन की बात न चले यह मुमकिन नहीं। जब भी आपको होली, कजरी, चैती याद आएंगी, पहली आवाज जो दिमाग में उभरती है उसका नाम है- गिरिजा देवी। वे भारतीय संगीत के उन नक्षत्रों में से हैं जिनसे हिन्दुस्थान की सुबहें आबाद और रातें गुलजार रही हैं। उनका ठेठ बनारसी अंदाज। सीधी, खरी और सधुक्कड़ी बातें, लेकिन आवाज में लोच और मिठास। आज वे हमारे बीच नहीं हैं। अब उनके शिष्यों की कतार हिन्दुस्थानी संगीत की मशाल संभाल रही है। गिरिजा देवी से 2015 में पाञ्चजन्य ने होली के अवसर पर लंबी वार्ता की थी। इस होली पर प्रस्तुत है उस वार्ता के खास अंश
आनंद का उत्कर्ष फाल्गुन
भक्त और भगवान का एक रंग हो जाना चरम परिणति माना जाता है और इसी चरम परिणति की याद दिलाने प्रतिवर्ष आता है धरती का प्रिय पाहुन फाल्गुन। इसीलिए वसंत माधव है। राधा तत्व वह मृदु सलिला है जो चिरंतन है, प्रवाहमान है
नागालैंड की जीत और एक मजबूत भाजपा
नेफ्यू रियो 5वीं बार नागालैंड के मुख्यमंत्री बनने जा रहे हैं।
सूर्योदय की धरती पर फिर खिला कमल
त्रिपुरा और नागालैंड की जनता ने शांति, विकास और सुशासन के भाजपा के तरीके पर अपनी स्वीकृति की मुहर लगाई है। मेघालय में भी भाजपा समर्थित सरकार बनने के पूरे आसार। कांग्रेस और वामदल मिलकर लड़े, लेकिन बुरी तरह परास्त हुए और त्रिपुरा में पैर पसारने की कोशिश करने वाली तृणमूल कांग्रेस को शून्य से संतुष्ट होना पड़ा
जीवनशैली ठीक तो सब ठीक
कोल्हापुर स्थित श्रीक्षेत्र सिद्धगिरि मठ में आयोजित पंचमहाभूत लोकोत्सव का समापन 26 फरवरी को हुआ। इस सात दिवसीय लोकोत्सव में लगभग 35,00,000 लोग शामिल हुए। इन लोगों को पर्यावरण को बचाने का संकल्प दिलाया गया
नाकाम किए मिशनरी
भारत के इतिहास में पहली बार बंजारा समाज का महाकुंभ महाराष्ट्र के जलगांव जिले के गोद्री ग्राम में संपन्न हुआ। इससे पहली बार भारत और विश्व को बंजारा समाज, संस्कृति एवं इतिहास के दर्शन हुए। एक हजार से भी ज्यादा संतों और 15 लाख श्रद्धालुओं ने इसमें भाग लिया। इससे बंजारा समाज को हिन्दुओं से अलग करने और कन्वर्ट करने की मिशनरियों की साजिश नाकाम हो गई