'अंतर अनेक पर हम एक'
Panchjanya|October 16, 2022
प्रत्येक वर्ष की भांति इस वर्ष भी गत 5 अक्तूबर को नागपुर के रेशिम बाग में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का विजयादशमी उत्सव संपन्न हुआ। इस अवसर पर सरसंघचालक श्री मोहनराव भागवत ने शस्त्र पूजन किया और उपस्थित स्वयंसेवकों और आमंत्रित अतिथियों के समक्ष विशेष उद्बोधन दिया। इस बार कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के नाते भारत की विश्व विख्यात पर्वतारोही पद्मश्री संतोष यादव उपस्थित रहीं।
हितेश शंकर
'अंतर अनेक पर हम एक'

इस वर्ष के अपने विजयादशमी उद्बोधन में श्री भागवत ने अनेक महत्वपूर्ण विषयों की चर्चा की। उन्होंने जहां बाबासाहेब आंबेडकर के दिए मंत्र के अनुरूप समरस समाज बनाने का आह्वान किया तो समाज की संगठित शक्ति से प्राप्त होने वाले सुफल की भी बात की। पूज्य सरसंघचालक ने भारत की हर क्षेत्र में प्रगति का उल्लेख करते हुए विश्व में शीर्ष राष्ट्रों की श्रेणी में पहुंचने पर राष्ट्र और इसके नागरिकों की सामर्थ्य का गौरवगान किया। श्री भागवत ने समाज के सभी वर्गों के लिए, सबके परामर्श और जागरण से समान जनसंख्या नीति तैयार करने की आवश्यकता को रेखांकित किया। उन्होंने निहित स्वार्थी ताकतों द्वारा समाज में खाई पैदा करने के दुष्प्रयासों से सावधान रहते हुए एकजुटता के सूत्रों पर चलने की प्रेरणा दी। 

इसी तरह उन्होंने स्वामी विवेकानंद और महर्षि अरविंद के दिए मंत्रों का उल्लेख किया और भारतवासियों से भारत-भक्ति की सतत साधना में लीन रहते हुए राष्ट्र के उत्थान में जुटने को कहा। यहां हम श्री भागवत के उसी संबोधन का संपादित स्वरूप प्रस्तुत कर रहे हैं

आज हम यहां नवरात्रि की शक्ति पूजा के पश्चात् विजय के साथ उदित होने वाली आश्विन शुक्ल दशमी के दिन विजयादशमी उत्सव के अवसर पर एकत्रित हुए हैं। शक्तिस्वरूपा जगद्जननी ही शिवसंकल्पों के सफल होने का आधार हैं। सर्वत्र पवित्रता व शान्ति स्थापना के लिए भी शक्ति का आधार अनिवार्य है। संयोग से आज की मुख्य अतिथि हैं श्रीमती संतोष यादव, जो उसी शक्ति व चैतन्य का प्रतिनिधित्व करती हैं। उन्होंने गौरीशंकर पर्वत की ऊंचाई को दो बार पादाक्रांत किया है।

Denne historien er fra October 16, 2022-utgaven av Panchjanya.

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