उजास और मिठास
Panchjanya|October 23, 2022
भारत में मिष्ठान और पकवान की एक सुदीर्घ परंपरा रही है। इसके तहत शुभ कार्यों में, त्योहारों में, सफलता प्राप्त करने की स्थिति में, स्वागत के दौरान मुंह मीठा कराने का चलन है। अनेकानेक मिष्ठान निर्माता देश के कोने-कोने की इन विभिन्न मिठाइयों के स्वाद को देशपरदेश तक पहुंचाने में जुटे हुए हैं। उजास के पर्व दीपावली पर प्रस्तुत है मिठास की उजली परंपरा और उद्यमिता को सामने रखता पाञ्चजन्य का यह आयोजन
उजास और मिठास

सागर पार तक व्यापार

ज उत्तर भारत में मिठाइयों की बात होती है, तो सबसे पहले 'बीकानेरवाला' समूह ध्यान में आता है। इसके संस्थापक हैं लाला केदारनाथ अग्रवाल । लगभग छह दशक पहले दिल्ली में घूम-घूमकर मिठाई बेचने वाले श्री अग्रवाल ने ऐसी कड़ी मेहनत की कि आज इस समूह का नमकीन और मिठाइयां लगभग 60 देशों को निर्यात होती हैं। अग्रवाल बताते हैं, “समूह द्वारा कम से कम 100 प्रकार की मिठाइयां और नमकीन बनाए हैं। इनमें काजू बर्फी तो विश्व में प्रसिद्ध है। यह बर्फी लगभग दो महीने तक खराब नहीं होती। इसलिए इसके निर्यात में कोई परेशानी नहीं है। यहां तक कि जब भी कोई प्रवासी भारतीय भारत से लौटता है, तो अपने साथ बर्फी और अन्य मिठाइयां ले जाना नहीं भूलता।" 

उन्होंने यह भी बताया कि इस व्यवसाय में चुनौतियां भी काफी हैं। थोड़ी-सी भी लापरवाही जैसे-रखरखाव ठीक से न हो पाए, रखने की विधि में कोई कमी रह जाए, गुणवत्ता से समझौता हो जाए तो ऐसी स्थिति में भारी नुकसान होता है। आज पूरी दुनिया में 140 दुकानें चलाने वाले श्री अग्रवाल को इस बात की बड़ी पीड़ा है कि भारत में पिज्जा, बर्गर आदि बनाने के लिए लोगों को प्रशिक्षण दिया जाता है। इन्हें ब के लिए लिखित विधियां हैं, लेकिन किसी मिठाई को बनाने के लिए कोई लिखित नियम नहीं है और न ही इसके प्रशिक्षण की व्यवस्था है। उनका कहना है कि मिठाइयों के निर्माण के लिए देश में एक पाठ्यक्रम शुरू होना चाहिए। ऐसा होने से अच्छे कारीगर मिलेंगे। प्रशिक्षित होने के बाद ये लोग खुद का काम कर सकते हैं अथवा कहीं अच्छी जगह नौकरी भी कर सकते हैं। इसमें अपार संभावनाएं हैं। बता दें कि अभी भारत में मिठाइयों के जितने बड़े कारोबारी हैं, वे लोग पीढ़ी दर पीढ़ी यह काम कर रहे हैं । इस तरह एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक यह ज्ञान पहुंचता है।

इस समय 'बीकानेरवाला' समूह का सालाना कारोबार लगभग 2,300 करोड़ रु. है। हालांकि अब लाला केदारनाथ अग्रवाल अधिक आयु होने के कारण कारोबार कम देखते हैं। पूरा कारोबार उनके पुत्र राधे मोहन संभालते हैं।

- अरुण कुमार सिंह

बीकानेरी स्वाद को दिलाई वैश्विक पहचान

Denne historien er fra October 23, 2022-utgaven av Panchjanya.

Start din 7-dagers gratis prøveperiode på Magzter GOLD for å få tilgang til tusenvis av utvalgte premiumhistorier og 9000+ magasiner og aviser.

Denne historien er fra October 23, 2022-utgaven av Panchjanya.

Start din 7-dagers gratis prøveperiode på Magzter GOLD for å få tilgang til tusenvis av utvalgte premiumhistorier og 9000+ magasiner og aviser.

FLERE HISTORIER FRA PANCHJANYASe alt
शिक्षा, स्वावलंबन और संस्कार की सरिता
Panchjanya

शिक्षा, स्वावलंबन और संस्कार की सरिता

रुद्रपुर स्थित दूधिया बाबा कन्या छात्रावास में छात्राओं को निःशुल्क शिक्षा के साथ-साथ संस्कार और स्वावलंबन का पाठ पढ़ाया जा रहा। इस अनूठे छात्रावास के कार्यों से अनेक लोग प्रेरणा प्राप्त कर रहे

time-read
2 mins  |
March 12, 2023
शिवाजी पर वामंपथी श्रद्धा!!
Panchjanya

शिवाजी पर वामंपथी श्रद्धा!!

वामपंथियों ने छत्रपति शिवाजी की जयंती पर भाग्यनगर में उनका पोस्टर लगाया, तो दिल्ली के जेएनयू में इन लोगों ने शिवाजी के चित्र को फाड़कर फेंका दिया। इस दोहरे चरित्र के संकेत क्या हैं !

time-read
2 mins  |
March 12, 2023
कांग्रेस के फैसले, मर्जी परिवार की
Panchjanya

कांग्रेस के फैसले, मर्जी परिवार की

कांग्रेस में मनोनीत लोगों द्वारा 'मनोनीत' फैसले लिये जा रहे हैं। किसी उल्लेखनीय चुनावी जीत के बिना कांग्रेस स्वयं को विपक्षी एकता की धुरी मानने की जिद पर अड़ी है जो अन्य को स्वीकार्य नहीं हैं। अधिवेशन में पारित प्रस्ताव बताते हैं कि पार्टी के पास नए विचार के नाम पर विफलताओं का जिम्मा लेने के लिए खड़गे

time-read
3 mins  |
March 12, 2023
फूट ही गया 'ईमानदारी' का गुब्बारा
Panchjanya

फूट ही गया 'ईमानदारी' का गुब्बारा

अरविंद केजरीवाल सरकार की 'कट्टर ईमानदारी' का ढोल फट चुका है। उनकी कैबिनेट के 6 में से दो मंत्री सलाखों के पीछे। शराब घोटाले में सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय की जांच की आंच कभी भी केजरीवाल तक पहुंच सकती है

time-read
3 mins  |
March 12, 2023
होली का रंग तो बनारस में जमता था
Panchjanya

होली का रंग तो बनारस में जमता था

होली के मौके पर होली गायन की बात न चले यह मुमकिन नहीं। जब भी आपको होली, कजरी, चैती याद आएंगी, पहली आवाज जो दिमाग में उभरती है उसका नाम है- गिरिजा देवी। वे भारतीय संगीत के उन नक्षत्रों में से हैं जिनसे हिन्दुस्थान की सुबहें आबाद और रातें गुलजार रही हैं। उनका ठेठ बनारसी अंदाज। सीधी, खरी और सधुक्कड़ी बातें, लेकिन आवाज में लोच और मिठास। आज वे हमारे बीच नहीं हैं। अब उनके शिष्यों की कतार हिन्दुस्थानी संगीत की मशाल संभाल रही है। गिरिजा देवी से 2015 में पाञ्चजन्य ने होली के अवसर पर लंबी वार्ता की थी। इस होली पर प्रस्तुत है उस वार्ता के खास अंश

time-read
3 mins  |
March 12, 2023
आनंद का उत्कर्ष फाल्गुन
Panchjanya

आनंद का उत्कर्ष फाल्गुन

भक्त और भगवान का एक रंग हो जाना चरम परिणति माना जाता है और इसी चरम परिणति की याद दिलाने प्रतिवर्ष आता है धरती का प्रिय पाहुन फाल्गुन। इसीलिए वसंत माधव है। राधा तत्व वह मृदु सलिला है जो चिरंतन है, प्रवाहमान है

time-read
4 mins  |
March 12, 2023
नागालैंड की जीत और एक मजबूत भाजपा
Panchjanya

नागालैंड की जीत और एक मजबूत भाजपा

नेफ्यू रियो 5वीं बार नागालैंड के मुख्यमंत्री बनने जा रहे हैं।

time-read
3 mins  |
March 12, 2023
सूर्योदय की धरती पर फिर खिला कमल
Panchjanya

सूर्योदय की धरती पर फिर खिला कमल

त्रिपुरा और नागालैंड की जनता ने शांति, विकास और सुशासन के भाजपा के तरीके पर अपनी स्वीकृति की मुहर लगाई है। मेघालय में भी भाजपा समर्थित सरकार बनने के पूरे आसार। कांग्रेस और वामदल मिलकर लड़े, लेकिन बुरी तरह परास्त हुए और त्रिपुरा में पैर पसारने की कोशिश करने वाली तृणमूल कांग्रेस को शून्य से संतुष्ट होना पड़ा

time-read
4 mins  |
March 12, 2023
जीवनशैली ठीक तो सब ठीक
Panchjanya

जीवनशैली ठीक तो सब ठीक

कोल्हापुर स्थित श्रीक्षेत्र सिद्धगिरि मठ में आयोजित पंचमहाभूत लोकोत्सव का समापन 26 फरवरी को हुआ। इस सात दिवसीय लोकोत्सव में लगभग 35,00,000 लोग शामिल हुए। इन लोगों को पर्यावरण को बचाने का संकल्प दिलाया गया

time-read
5 mins  |
March 12, 2023
नाकाम किए मिशनरी
Panchjanya

नाकाम किए मिशनरी

भारत के इतिहास में पहली बार बंजारा समाज का महाकुंभ महाराष्ट्र के जलगांव जिले के गोद्री ग्राम में संपन्न हुआ। इससे पहली बार भारत और विश्व को बंजारा समाज, संस्कृति एवं इतिहास के दर्शन हुए। एक हजार से भी ज्यादा संतों और 15 लाख श्रद्धालुओं ने इसमें भाग लिया। इससे बंजारा समाज को हिन्दुओं से अलग करने और कन्वर्ट करने की मिशनरियों की साजिश नाकाम हो गई

time-read
2 mins  |
March 12, 2023