यह कुछ हफ्तों या महीनों की घटना नहीं है। दशकों से असम और उत्तर-पूर्व के अन्य हिस्सों में ईसाई मिशनरियों द्वारा ईसाइयत के प्रचार और कन्वर्जन का चक्र चलाया जा रहा है। विदेशी धन के जोर पर मिशनरियां इस क्षेत्र के लाखों हिंदुओं और जनजातीय लोगों को ईसाई बना चुकी हैं । यह सिलसिला आज भी जारी है। परिणामस्वरूप, श्रीमंत शंकरदेव द्वारा शुरू किए गए वैष्णव और सतरिया सांस्कृतिक केंद्र तथा दुनिया के सबसे बड़े नदी द्वीप माजुली में अब 34 वैष्णव सत्रों के मुकाबले 66 चर्च हैं।
गत 25 अक्तूबर को असम पुलिस ने दो महिलाओं सहित स्वीडन के तीन ईसाई मिशनरी - हन्ना मिकाएला ब्लूम, मार्कस अर्ने हेनरिक ब्लूम और सुजेन एलिजाबेथ हाकासन - को गिरफ्तार किया है। ये सभी पर्यटक वीजा पर आए थे। लेकिन वीजा प्रावधानों का उल्लंघन कर राज्य में लोगों को कन्वर्ट करने के उद्देश्य से आयोजित की जाने वाली ईसाई प्रार्थना सभाओं में भाग लेते थे। इनके निशाने पर चाय बागान समुदाय के लोग थे । इस तीन दिवसीय प्रार्थना सभा का आयोजन डिब्रूगढ़ जिले के घिनई इलाके में विभिन्न चर्चों की संस्था यूनाइटेड चर्च फोरम द्वारा किया गया था। स्थानीय लोगों का आरोप था कि मिशनरी उपचार के नाम पर मुख्य रूप से चाय जनजातियों व अन्य जनजातियों का कन्वर्जन कर रहे थे। नाहरकटिया से गिरफ्तार विदेशी ईसाइयों को स्थानीय अदालत में पेश किया गया और विदेशी अधिनियम के तहत दोषी पाए जाने के बाद उन्हें स्वीडन भेज दिया गया । विदेशी ईसाई मिशनरियां बीते कई दशकों से असम के चाय बागान क्षेत्रों में अपनी कन्वर्जन गतिविधियां चला रही हैं और अब तक चाय बागान समुदाय के हजारों लोगों को कन्वर्ट करने में सफल रही हैं।
जर्मन मिशन और चर्च से वित्तपोषण
Denne historien er fra November 13, 2022-utgaven av Panchjanya.
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शिक्षा, स्वावलंबन और संस्कार की सरिता
रुद्रपुर स्थित दूधिया बाबा कन्या छात्रावास में छात्राओं को निःशुल्क शिक्षा के साथ-साथ संस्कार और स्वावलंबन का पाठ पढ़ाया जा रहा। इस अनूठे छात्रावास के कार्यों से अनेक लोग प्रेरणा प्राप्त कर रहे
शिवाजी पर वामंपथी श्रद्धा!!
वामपंथियों ने छत्रपति शिवाजी की जयंती पर भाग्यनगर में उनका पोस्टर लगाया, तो दिल्ली के जेएनयू में इन लोगों ने शिवाजी के चित्र को फाड़कर फेंका दिया। इस दोहरे चरित्र के संकेत क्या हैं !
कांग्रेस के फैसले, मर्जी परिवार की
कांग्रेस में मनोनीत लोगों द्वारा 'मनोनीत' फैसले लिये जा रहे हैं। किसी उल्लेखनीय चुनावी जीत के बिना कांग्रेस स्वयं को विपक्षी एकता की धुरी मानने की जिद पर अड़ी है जो अन्य को स्वीकार्य नहीं हैं। अधिवेशन में पारित प्रस्ताव बताते हैं कि पार्टी के पास नए विचार के नाम पर विफलताओं का जिम्मा लेने के लिए खड़गे
फूट ही गया 'ईमानदारी' का गुब्बारा
अरविंद केजरीवाल सरकार की 'कट्टर ईमानदारी' का ढोल फट चुका है। उनकी कैबिनेट के 6 में से दो मंत्री सलाखों के पीछे। शराब घोटाले में सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय की जांच की आंच कभी भी केजरीवाल तक पहुंच सकती है
होली का रंग तो बनारस में जमता था
होली के मौके पर होली गायन की बात न चले यह मुमकिन नहीं। जब भी आपको होली, कजरी, चैती याद आएंगी, पहली आवाज जो दिमाग में उभरती है उसका नाम है- गिरिजा देवी। वे भारतीय संगीत के उन नक्षत्रों में से हैं जिनसे हिन्दुस्थान की सुबहें आबाद और रातें गुलजार रही हैं। उनका ठेठ बनारसी अंदाज। सीधी, खरी और सधुक्कड़ी बातें, लेकिन आवाज में लोच और मिठास। आज वे हमारे बीच नहीं हैं। अब उनके शिष्यों की कतार हिन्दुस्थानी संगीत की मशाल संभाल रही है। गिरिजा देवी से 2015 में पाञ्चजन्य ने होली के अवसर पर लंबी वार्ता की थी। इस होली पर प्रस्तुत है उस वार्ता के खास अंश
आनंद का उत्कर्ष फाल्गुन
भक्त और भगवान का एक रंग हो जाना चरम परिणति माना जाता है और इसी चरम परिणति की याद दिलाने प्रतिवर्ष आता है धरती का प्रिय पाहुन फाल्गुन। इसीलिए वसंत माधव है। राधा तत्व वह मृदु सलिला है जो चिरंतन है, प्रवाहमान है
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नेफ्यू रियो 5वीं बार नागालैंड के मुख्यमंत्री बनने जा रहे हैं।
सूर्योदय की धरती पर फिर खिला कमल
त्रिपुरा और नागालैंड की जनता ने शांति, विकास और सुशासन के भाजपा के तरीके पर अपनी स्वीकृति की मुहर लगाई है। मेघालय में भी भाजपा समर्थित सरकार बनने के पूरे आसार। कांग्रेस और वामदल मिलकर लड़े, लेकिन बुरी तरह परास्त हुए और त्रिपुरा में पैर पसारने की कोशिश करने वाली तृणमूल कांग्रेस को शून्य से संतुष्ट होना पड़ा
जीवनशैली ठीक तो सब ठीक
कोल्हापुर स्थित श्रीक्षेत्र सिद्धगिरि मठ में आयोजित पंचमहाभूत लोकोत्सव का समापन 26 फरवरी को हुआ। इस सात दिवसीय लोकोत्सव में लगभग 35,00,000 लोग शामिल हुए। इन लोगों को पर्यावरण को बचाने का संकल्प दिलाया गया
नाकाम किए मिशनरी
भारत के इतिहास में पहली बार बंजारा समाज का महाकुंभ महाराष्ट्र के जलगांव जिले के गोद्री ग्राम में संपन्न हुआ। इससे पहली बार भारत और विश्व को बंजारा समाज, संस्कृति एवं इतिहास के दर्शन हुए। एक हजार से भी ज्यादा संतों और 15 लाख श्रद्धालुओं ने इसमें भाग लिया। इससे बंजारा समाज को हिन्दुओं से अलग करने और कन्वर्ट करने की मिशनरियों की साजिश नाकाम हो गई