इन दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की देखरेख और प्रेरणा से देश-विदेश में स्थित प्रचीन मंदिरों का जीर्णोद्धार किया जा रहा है। यह क्यों किया जा रहा है, इसका उत्तर विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने पिछले दिनों काशी में आयोजित एक कार्यक्रम में दिया। उन्होंने कहा कि ऐसा इसलिए किया जा रहा है, क्योंकि हम विश्व में फैली अपनी सभ्यता को संरक्षित और भव्य रूप देना चाहते हैं।
विदेश स्थित मंदिरों का जीर्णोद्धार
इस समय भारत सरकार कंबोडिया स्थित अंकोरवाट मंदिर का जीर्णोद्धार करा रही है। बता दें कि यह दुनिया का सबसे बड़ा हिंदू मंदिर है। यह मंदिर कंबोडिया के तीर्थस्थान के साथ-साथ पर्यटन स्थल भी है। यहां प्रतिवर्ष लगभग दो करोड़ लोग पहुंचते हैं। इसका निर्माण सूर्यवर्मन द्वितीय के शासनकाल (1112-53) में हुआ था। तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी इस मंदिर के दर्शन के लिए गए थे। भारत सरकार के प्रयासों से श्रीलंका स्थित तिरूकेतीश्वरम मंदिर का भी जीर्णोद्धार हुआ है। अब यह मंदिर श्रद्धालुओं के लिए खोल दिया गया है, जो 12 वर्ष से बंद था। ऐसे ही 2014 में जब प्रधानमंत्री नेपाल गए तो उन्होंने काठमांडू स्थित पशुपतिनाथ मंदिर में न केवल पूजा-पाठ किया, बल्कि उसके जीर्णोद्धार के लिए 25 करोड़ रु. देने की घोषणा की। इसके बाद भारतीय पुरातत्व विभाग और नेपाल के पुरातत्व विभाग ने संयुक्त रूप से मंदिर का जीर्णोद्धार किया। अब प्रधानमंत्री ने नेपाल को रामायण सर्किट बनाने के लिए 200 करोड़ रु. देने की बात कही है। मुस्लिम देश बहरीन के मनामा स्थित 200 वर्ष पुराने श्रीनाथजी (श्रीकृष्ण) मंदिर का भी भारत जीर्णोद्धार करा रहा है। इसके लिए 25 अगस्त, 2019 को नरेंद्र मोदी ने 42 लाख डॉलर की परियोजना का शुभारंभ किया था।
मुस्लिम देश में हिंदू मंदिर
यह बदलते हुए भारत का ही द्योतक है कि मुस्लिम देश संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) में एक भव्य और दिव्य मंदिर का शुभारंभ 4 अक्तूबर, 2022 को हुआ। विजयादशमी से ठीक एक दिन पहले इस मंदिर का उद्घाटन यूएई के सहिष्णुता और सहअस्तित्व मंत्री शेख नाहन बिन मुबारक अल नाहयान ने किया। 5 अक्तूबर से यह मंदिर भक्तों के लिए खोल दिया गया है। अब प्रतिदिन इस मंदिर के दर्शन के लिए हजारों श्रद्धालु पहुंच रहे हैं।
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