संसार में सनातन संस्कृति का प्रसार
Panchjanya|January 15, 2023
आज स्वामिनारायण संस्था विश्व के 55 देशों में पहुंच गई है। सनातन संस्कृति को फैलाने के साथ ही यह संस्था शिक्षा, संस्कार, रोजगार और सेवा के अनगिनत प्रकल्पों के माध्यम से समाज को एकसूत्र में बांध रही है
अरुण कुमार सिंह
संसार में सनातन संस्कृति का प्रसार

स्थापना: 5 जून, 1907

कार्य: 55 देशों में

कुल मंदिरः 1,231

कुल संन्यासीः 1,200

प्रकल्प: 162

स सत्संग केंद्र: 5,000

गुरुकुल: 17

प्राथमिक/माध्यमिक विद्यालय: 13

यह किसी चमत्कार से कम नहीं है कि गुजरात के एक गांव से आरम्भ हुई स्वामिनारायण संस्था आज वैश्विक हो चुकी है। इसका पूरा नाम है - बोचासणवासी अक्षरपुरुषोत्तम स्वामिनारायण संस्था (बी.ए.पी.एस.)। गुजरात में आणंद के पास एक गांव है बोचासण। यहीं 5 जून, 1907 को शास्त्री जी महाराज (प्रमुख स्वामी जी महाराज के गुरु) ने इस संस्था की नींव रखी थी। आज इस संस्था के साथ विश्वभर में लगभग 25,00,000 लोग प्रत्यक्ष और करोड़ों लोग अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े हैं। यह संस्था सनातन धर्म और संस्कृति को दुनिया में पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। यहां तक कि मुस्लिम देशों में भी वहां के शासकों के सहयोग से मंदिरों का निर्माण करवा रही है। बता दें कि इस समय आबूधाबी में स्वामिनारायण मंदिर बन रहा है।

एक मुस्लिम देश में मंदिर बनाना कैसे संभव हुआ? इस संबंध में बी.ए.पी.एस. के मीडिया प्रभारी स्वामी ज्ञानानंद जी महाराज का उत्तर बहुत ही रोचक है। उन्होंने बताया कि मानवता के प्रति प्रमुख स्वामी जी महाराज के समर्पण को देखते हुए स्वयं आबूधाबी की सरकार ने मंदिर बनाने का आग्रह किया था। इसके बाद आवश्यक कार्रवाई पूरी कर मंदिर बनाया जा रहा है और यह कार्य शीघ्र ही पूरा होने वाला है। अब तक इस संस्था ने भारत सहित दुनिया के 55 देशों में 1,231 से अधिक मंदिर बनवाए हैं। कुछ निर्माणाधीन हैं। ये मंदिर भारतीय संस्कृति का प्रसार तो करते ही हैं, साथ ही सामाजिक कार्य भी करते हैं। 

Denne historien er fra January 15, 2023-utgaven av Panchjanya.

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