सत्य, सरोकार और संस्कृति
Panchjanya|January 22, 2023
पाञ्चजन्य का निर्भीक स्वर लोगों को आकर्षित करता रहा तो इससे सरकार की भौहें भी तनती रहीं। 1959 में कम्युनिस्ट चीन द्वारा तिब्बत पर कब्जा और दलाईलामा के निष्कासन के समय पाञ्चजन्य ने नेहरू की अदूरदर्शिता और चीन-नीति की तथ्यात्मक आलोचना की।
हितेश शंकर
सत्य, सरोकार और संस्कृति

15 अगस्त, 1947–भारत को स्वाधीनता मिल चुकी थी। एक नई परिस्थिति, नया परिदृश्य सामने था। जनता विभाजन के दंश भुगत रही थी। पाकिस्तान पैदा होते ही कुटिल चालें चलना शुरू कर चुका था। कुछ रियासतें असमंजस में थीं कि किधर जाएं। प्रशासनिक तंत्र, सुरक्षा, शिक्षा, इतिहास, स्वास्थ्य, उद्योग, सबके लिए दृष्टि तय करनी थी। भविष्य की आवश्यकताओं के अनुरूप ढांचा खड़ा करना था। तय करना था कि इनकी, देश की दिशा क्या हो ?

मार्ग तय करने को लेकर अलग-अलग आवाजें थीं, अलग-अलग आकांक्षाएं थीं। बड़ा प्रश्न था संविधान में उल्लिखित- हम भारत के लोग-कौन हैं, हमारी राष्ट्रीय पहचान क्या है ? क्या होंगे हमारे रास्ते ?

अब तक जो पत्रकारिता हुई, उनका उद्देश्य भारत को स्वतंत्र कराना था। भारत स्वतंत्र हुआ। उद्देश्य प्राप्त हुआ। अब पत्रकारिता क्या करे ? प्रश्न सर्वथा नए थे। पराई सरकार गई। यह सरकार अपनी है।

परन्तु सरकारें तो आती-जाती हैं, बड़ी बात है सांस्कृतिक सरोकार ! तो इन्हीं प्रश्नों के उत्तरों के उद्घोष के रूप में भारतीय पत्रकारिता में शंखनाद हुआ पाञ्चजन्य का। 14 जनवरी, 1948 को साप्ताहिक पाञ्चजन्य का पहला अंक प्रकाशित हुआ।

Denne historien er fra January 22, 2023-utgaven av Panchjanya.

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शिक्षा, स्वावलंबन और संस्कार की सरिता
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रुद्रपुर स्थित दूधिया बाबा कन्या छात्रावास में छात्राओं को निःशुल्क शिक्षा के साथ-साथ संस्कार और स्वावलंबन का पाठ पढ़ाया जा रहा। इस अनूठे छात्रावास के कार्यों से अनेक लोग प्रेरणा प्राप्त कर रहे

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वामपंथियों ने छत्रपति शिवाजी की जयंती पर भाग्यनगर में उनका पोस्टर लगाया, तो दिल्ली के जेएनयू में इन लोगों ने शिवाजी के चित्र को फाड़कर फेंका दिया। इस दोहरे चरित्र के संकेत क्या हैं !

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कांग्रेस में मनोनीत लोगों द्वारा 'मनोनीत' फैसले लिये जा रहे हैं। किसी उल्लेखनीय चुनावी जीत के बिना कांग्रेस स्वयं को विपक्षी एकता की धुरी मानने की जिद पर अड़ी है जो अन्य को स्वीकार्य नहीं हैं। अधिवेशन में पारित प्रस्ताव बताते हैं कि पार्टी के पास नए विचार के नाम पर विफलताओं का जिम्मा लेने के लिए खड़गे

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फूट ही गया 'ईमानदारी' का गुब्बारा
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अरविंद केजरीवाल सरकार की 'कट्टर ईमानदारी' का ढोल फट चुका है। उनकी कैबिनेट के 6 में से दो मंत्री सलाखों के पीछे। शराब घोटाले में सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय की जांच की आंच कभी भी केजरीवाल तक पहुंच सकती है

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होली का रंग तो बनारस में जमता था
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होली का रंग तो बनारस में जमता था

होली के मौके पर होली गायन की बात न चले यह मुमकिन नहीं। जब भी आपको होली, कजरी, चैती याद आएंगी, पहली आवाज जो दिमाग में उभरती है उसका नाम है- गिरिजा देवी। वे भारतीय संगीत के उन नक्षत्रों में से हैं जिनसे हिन्दुस्थान की सुबहें आबाद और रातें गुलजार रही हैं। उनका ठेठ बनारसी अंदाज। सीधी, खरी और सधुक्कड़ी बातें, लेकिन आवाज में लोच और मिठास। आज वे हमारे बीच नहीं हैं। अब उनके शिष्यों की कतार हिन्दुस्थानी संगीत की मशाल संभाल रही है। गिरिजा देवी से 2015 में पाञ्चजन्य ने होली के अवसर पर लंबी वार्ता की थी। इस होली पर प्रस्तुत है उस वार्ता के खास अंश

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March 12, 2023
आनंद का उत्कर्ष फाल्गुन
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भक्त और भगवान का एक रंग हो जाना चरम परिणति माना जाता है और इसी चरम परिणति की याद दिलाने प्रतिवर्ष आता है धरती का प्रिय पाहुन फाल्गुन। इसीलिए वसंत माधव है। राधा तत्व वह मृदु सलिला है जो चिरंतन है, प्रवाहमान है

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नागालैंड की जीत और एक मजबूत भाजपा
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नेफ्यू रियो 5वीं बार नागालैंड के मुख्यमंत्री बनने जा रहे हैं।

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कोल्हापुर स्थित श्रीक्षेत्र सिद्धगिरि मठ में आयोजित पंचमहाभूत लोकोत्सव का समापन 26 फरवरी को हुआ। इस सात दिवसीय लोकोत्सव में लगभग 35,00,000 लोग शामिल हुए। इन लोगों को पर्यावरण को बचाने का संकल्प दिलाया गया

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