मोनिका अपने घर में कमाने वाली इकलौती सदस्य हैं। और नोएडा की एक बड़ी मोबाइल फोन निर्माता कंपनी सैमसंग में काम करती हैं। वे रोजाना कंपनी की बस से सैमसंग के प्लांट में जाती हैं, जहां वे मोबाइल बनाने के काम में लग जाती हैं। सिर्फ नोएडा ही नहीं, दिल्ली-एनसीआर में बहुत सारी लड़कियां और महिलाएं अब मोबाइल बनाने वाली कंपनियों में काम करती हैं। बीते कुछ वर्षों में भारत तेजी से मोबाइल उत्पादन केंद्र के तौर पर दुनिया के मानचित्र पर उभरा है।
1990 के दशक में चीन, दक्षिण कोरिया, ताइवान और सिंगापुर अपनी उत्पादकता के लिए जाने जाते थे, लेकिन अब इस क्षेत्र में भारत अपनी उपस्थिति दर्ज करवा रहा है। सिर्फ मोबाइल ही नहीं, कार, रक्षा उपकरण और दवा निर्माण के क्षेत्र में भी भारत 'मैन्युफैक्चरिंग हब' के तौर पर विकसित हो रहा है। दुनिया की बड़ी कंपनियां यहां अपना सामान बनवा रही हैं या प्लांट स्थापित कर रही हैं।
मोबाइल उत्पादन में दुनिया का दूसरा देश
2014 से पहले भारत दुनिया का सबसे बड़ा मोबाइल आयातक देश हुआ करता था। चीनी मोबाइल कंपनियों पर लगाम कसने के बाद देश में मोबाइल फोन उत्पादन को बढ़ावा दिया गया। परिणामस्वरूप, भारत अब दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा मोबाइल निर्यातक देश बन गया है। इंडिया सेल्यूलर एंड इलेक्ट्रॉनिक्स एसोसिएशन के आंकड़ों के मुताबिक, वित्त वर्ष 2021-22 में भारत में लगभग 85 हजार करोड़ रुपये के मोबाइल फोन का उत्पादन हुआ, जो 2020-21 की तुलना में 30 प्रतिशत अधिक है। मोबाइल फोन का निर्यात भी 75 प्रतिशत बढ़ गया है। वित्त वर्ष 2020-21 में 25 हजार करोड़ रुपये का मोबाइल फोन निर्यात किया गया था, जो वित्त वर्ष 2021-22 में बढ़ कर 45 हजार करोड़ रुपये तक पहुंच गया।
Denne historien er fra January 22, 2023-utgaven av Panchjanya.
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