समय से सन्तान प्राप्ति होती है अगर पत्रिका में हों ऐसे योग!
Jyotish Sagar|August 2022
लग्न का स्वामी जन्मपत्रिका में बलवान् हो, शुभ स्थान पर हो तथा सप्तमांश लग्न भी शुभ ग्रहों से युक्त एवं द्रष्ट हो, तो निश्चित रूप से सन्तान सुख की अनुभूति होती है।
रेखा कल्पदेव
समय से सन्तान प्राप्ति होती है अगर पत्रिका में हों ऐसे योग!

विवाह के पश्चात् ज्यादातर दम्पतियों की इच्छा होती है कि उनके आँगन में एक नन्हा- मुन्ना बालक खेले। आज के आधुनिक युग में विवाह देरी से हो रहे हैं। इसी के चलते सन्तान प्राप्ति भी देर से ही हो रही है। आपको सन्तान का सुख समय पर मिल पाएगा अथवा नहीं? यह जानने में जन्मपत्रिका एक सरल और सहज साधन है।

यह एक ऐसा साधन है, जिसके माध्यम से यह जाना जा सकता है कि सन्तान प्राप्ति कब होगी और विवाह के कितने वर्ष पश्चात् होगी? इस प्रकार के सभी प्रश्नों के जवाब आसानी से जाने जा सकते हैं। आइए, जन्मपत्रिका से जानें कि सन्तान के विषय में आपकी कुण्डली क्या कहती है?

लग्न का स्वामी जन्मपत्रिका में बलवान् हो, शुभ स्थान पर हो तथा शुभ ग्रहों से युक्त तो निश्चित रूप से सप्तमांश लग्न भी एवं द्रष्ट सन्तान सुख की अनुभूति होती है। प्रसिद्ध फलित ग्रन्थों में वर्णित कुछ प्रमुख योग निम्नलिखित प्रकार से हैं, जिनके जन्मपत्रिका में होने से सन्तान सुख की प्राप्ति अवश्य होती है। जन्मपत्रिका में लग्नेश और पंचमेश का अथवा पंचमेश और नवमेश का युति, दृष्टि या राशि सम्बन्ध शुभ भावों में हो।

● लग्नेश पंचम भाव में मित्र, उच्च राशि नवांश का हो।

● पंचमेश पंचम भाव में ही स्थित हो। पंचम भाव पर बलवान् शुभ ग्रहों की पूर्ण दृष्टि हो।

● जन्मपत्रिका में गुरु स्व, मित्र, उच्च राशि नवांश का लग्न से शुभ भाव में स्थित हो।

● एकादश भाव में शुभ ग्रह बलवान् होकर स्थित हो। गुरु से पंचम भाव में शुभ ग्रह स्थित हो।

● गुरु के अष्टकवर्ग में पंचम स्थान में बलवान् ग्रहों द्वारा प्रदत्त पाँच अथवा अधिक शुभ रेखाएँ हों।

● सप्तमांश लग्न का स्वामी बलवान् होकर जन्मपत्रिका में शुभ भाव में स्थित हो।

दशा अथवा अन्तर्दशा

● पंचम भाव स्थित ग्रह की दशा अथवा अन्तर्दशा।

● पंचम भाव को देखने वाले ग्रह की दशा अथवा अन्तर्दशा।

● पंचम भाव स्थित ग्रह अथवा पंचम भाव को देखने वाले ग्रह से पंचम में स्थित ग्रह की दशा अथवा अन्तर्दशा।

● उपर्युक्त ग्रहों के राशि स्वामी अथवा सप्तमांश स्वामी की दशा या अन्तर्दशा।

● सन्तान कारक गुरु की दशा।

● गुरु अथवा चन्द्रमा से पंचम भाव का स्वामी, चन्द्रमा अथवा गुरु से पंचम भाव स्थित ग्रह की दशा।

Denne historien er fra August 2022-utgaven av Jyotish Sagar.

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