स्वतन्त्रता आन्दोलन के सूत्रधार लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक
Jyotish Sagar|July 2023
स्वाधीनता संग्राम के पुरोधा लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक का जन्म 23 जुलाई, 1856 को महाराष्ट्र के रत्नगिरि के चितपावन ब्राह्मण कुल में हुआ था।
डॉ. श्याम मनोहर व्यास
स्वतन्त्रता आन्दोलन के सूत्रधार लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक

इनके पिता गंगाधर राव स्थानीय पाठशाला में शिक्षक थे। वे संस्कृत एवं मराठी भाषा के अच्छे विद्वान् थे। माता भी सात्विक प्रवृत्ति की महिला थीं। पुत्र प्राप्ति के लिए माता ने सूर्यदेव की आराधना की थी। तिलक का जन्म नाम 'केशव' था, लेकिन सभी प्यार से उन्हें 'बाल' कहते थे। आगे चलकर वे इसी नाम से प्रसिद्ध हुए।

बाल्यकाल एवं अध्ययन

तिलक बचपन से ही कुशाग्र बुद्धि के थे। उनके पिता ने उन्हें संस्कृत एव मराठी भाषा में पढ़ाई करवाई थी। गणित के किसी भी जटिल प्रश्न को वे मौखिक ही हल कर देते थे। सन् 1866 में जब वे दस वर्ष के थे, तभी उनकी माता पार्वती बाई का देहान्त हो गया था। पिता का स्थानान्तरण भी पूना नगर में हो गया था। तदनन्तर इन्हें पूना की ही एक पाठशाला में भर्ती करवाया गया। बचपन से ही ये तर्क-वितर्क करने की विद्या में पारंगत थे, जिसके कारण इन्हें कई बार अपने गुरुजनों के कोप का भी शिकार होना पड़ा। एक दिन कक्षा के विषयाध्यापक ने कई प्रश्न इन्हें हल करने को दे दिए। थोड़ी ही देर में प्रश्न हल कर तिलक ने अध्यापक महोदय के सामने रख दिए। सभी प्रश्नों के उत्तर सही थे, पर प्रश्नों की विधि नहीं लिखी थी। अध्यापक ने पूछा, 'तुमने विधि (क्रिया) कहाँ की है?”

‘यहाँ!’ बाल गंगाधर ने अपने माथे पर अँगुली रखकर कहा। प्रारम्भिक शिक्षा पूरी कर तिलक ने कॉलेज में प्रवेश लिया। कॉलेज में अंग्रेजी शिक्षा का बड़ा प्रभाव था, पर बाल गंगाधर तिलक ने अपनी भारतीय पोशाक को नहीं छोड़ा। कॉलेज में भी रेशमी धोती, सिर पर गोल पगड़ी लाल रंग की, पाँवों में देशी जूते, लम्बा-सा अंगरखा और कन्धे पर सफेद-सा दुपट्टा। जीवनपर्यन्त उनका यही परिधान रहा।

Denne historien er fra July 2023-utgaven av Jyotish Sagar.

Start din 7-dagers gratis prøveperiode på Magzter GOLD for å få tilgang til tusenvis av utvalgte premiumhistorier og 9000+ magasiner og aviser.

Denne historien er fra July 2023-utgaven av Jyotish Sagar.

Start din 7-dagers gratis prøveperiode på Magzter GOLD for å få tilgang til tusenvis av utvalgte premiumhistorier og 9000+ magasiner og aviser.

FLERE HISTORIER FRA JYOTISH SAGARSe alt
सात धामों में श्रेष्ठ है तीर्थराज गयाजी
Jyotish Sagar

सात धामों में श्रेष्ठ है तीर्थराज गयाजी

गया हिन्दुओं का पवित्र और प्रधान तीर्थ है। मान्यता है कि यहाँ श्रद्धा और पिण्डदान करने से पूर्वजों को मोक्ष प्राप्त होता है, क्योंकि यह सात धामों में से एक धाम है। गया में सभी जगह तीर्थ विराजमान हैं।

time-read
2 mins  |
September 2024
सत्साहित्य के पुरोधा हनुमान प्रसाद पोद्दार
Jyotish Sagar

सत्साहित्य के पुरोधा हनुमान प्रसाद पोद्दार

प्रसिद्ध धार्मिक सचित्र पत्रिका ‘कल्याण’ एवं ‘गीताप्रेस, गोरखपुर के सत्साहित्य से शायद ही कोई हिन्दू अपरिचित होगा। इस सत्साहित्य के प्रचारप्रसार के मुख्य कर्ता-धर्ता थे श्री हनुमान प्रसाद जी पोद्दार, जिन्हें 'भाई जी' के नाम से भी सम्बोधित किया जाता रहा है।

time-read
5 mins  |
September 2024
राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर अमृत गीत तुम रचो कलानिधि
Jyotish Sagar

राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर अमृत गीत तुम रचो कलानिधि

राष्ट्रकवि स्व. रामधारी सिंह दिनकर को आमतौर पर एक प्रखर राष्ट्रवादी और ओजस्वी कवि के रूप में माना जाता है, लेकिन वस्तुतः दिनकर का व्यक्तित्व बहुआयामी था। कवि के अतिरिक्त वह एक यशस्वी गद्यकार, निर्लिप्त समीक्षक, मौलिक चिन्तक, श्रेष्ठ दार्शनिक, सौम्य विचारक और सबसे बढ़कर बहुत ही संवेदनशील इन्सान भी थे।

time-read
4 mins  |
September 2024
सेतुबन्ध और श्रीरामेश्वर धाम की स्थापना
Jyotish Sagar

सेतुबन्ध और श्रीरामेश्वर धाम की स्थापना

जो मनुष्य मेरे द्वारा स्थापित किए हुए इन रामेश्वर जी के दर्शन करेंगे, वे शरीर छोड़कर मेरे लोक को जाएँगे और जो गंगाजल लाकर इन पर चढ़ाएगा, वह मनुष्य तायुज्य मुक्ति पाएगा अर्थात् मेरे साथ एक हो जाएगा।

time-read
5 mins  |
September 2024
वागड़ की स्थापत्य कला में नृत्य-गणपति
Jyotish Sagar

वागड़ की स्थापत्य कला में नृत्य-गणपति

प्राचीन काल से ही भारतीय शिक्षा कर्म का क्षेत्र बहुत विस्तृत रहा है। भारतीय शिक्षा में कला की शिक्षा का अपना ही महत्त्व शुक्राचार्य के अनुसार ही कलाओं के भिन्न-भिन्न नाम ही नहीं, अपितु केवल लक्षण ही कहे जा सकते हैं, क्योंकि क्रिया के पार्थक्य से ही कलाओं में भेद होता है। जैसे नृत्य कला को हाव-भाव आदि के साथ ‘गति नृत्य' भी कहा जाता है। नृत्य कला में करण, अंगहार, विभाव, भाव एवं रसों की अभिव्यक्ति की जाती है।

time-read
2 mins  |
September 2024
व्यावसायिक वास्तु के अनुसार शोरूम और दूकानें कैसी होनी चाहिए?
Jyotish Sagar

व्यावसायिक वास्तु के अनुसार शोरूम और दूकानें कैसी होनी चाहिए?

ऑफिस के एकदम कॉर्नर का दरवाजा हमेशा बिजनेस में नुकसान देता है। ऐसे ऑफिस में जो वर्कर काम करते हैं, तो उनको स्वास्थ्य से जुड़ी कई परेशानियाँ आती हैं।

time-read
5 mins  |
September 2024
श्रीगणेश नाम रहस्य
Jyotish Sagar

श्रीगणेश नाम रहस्य

हिन्दुओं के पंच परमेश्वर में भगवान् गणेश का स्थान प्रथम माना जाता है। शंकराचार्य जी ने के भी पंचायतन पूजा में गणेश पूजन विधान का उल्लेख किया है। गणेश से तात्पर्य गण + ईश अर्थात् गणों का ईश से है। भगवान् गणेश को कई अन्य नामों से भी पूजा जाता है जैसे विघ्न विनाशक, विनायक, लम्बोदर, सिद्धि विनायक आदि।

time-read
2 mins  |
September 2024
प्रेम और भक्ति की अनन्य प्रतीक 'श्रीराधा'
Jyotish Sagar

प्रेम और भक्ति की अनन्य प्रतीक 'श्रीराधा'

कृष्ण चरित के प्रतिनिधि शास्त्र भागवत और महाभारत में राधा का उल्लेख नहीं होने के बावजूद वे लोकमानस में प्रेम और भक्ति की अनन्य प्रतीक के रूप में बसी हुई हैं। सन्त महात्माओं ने उन्हें कृष्णचरित का अभिन्न अंग माना है। उनकी मान्यता है कि प्रेम और भक्ति की जैसे कोई सीमा नहीं है, उसी तरह राधा का चरित, उनकी लीला और स्वरूप भी प्रेमाभक्ति का चरमोत्कर्ष है।

time-read
3 mins  |
September 2024
राजस्थान के लोकदेवता और समाज सुधारक बाबा रामदेव
Jyotish Sagar

राजस्थान के लोकदेवता और समाज सुधारक बाबा रामदेव

राजस्थान के देवी-देवताओं में बाबा रामदेव का नाम काफी विख्यात है। इनके अनुयायी राजस्थान, मध्यप्रदेश, गुजरात और सिन्ध (पाकिस्तान) आदि में बड़ी संख्या में हैं।

time-read
2 mins  |
September 2024
जन्मपत्रिका में चन्द्रमा और मनुष्य का भावनात्मक जुड़ाव
Jyotish Sagar

जन्मपत्रिका में चन्द्रमा और मनुष्य का भावनात्मक जुड़ाव

जिस प्रकार लग्न हमारा शरीर अर्थात् बाहरी व्यक्तित्व है, उसी प्रकार चन्द्रमा हमारा सूक्ष्म व्यक्तित्व है, जो किसी को भी दिखाई नहीं देता, लेकिन महसूस अवश्य होता है।

time-read
8 mins  |
September 2024