दीपावली की रात्रि जागरण की रात होती है। माना जाता है कि इस दिन माता लक्ष्मी धरती पर आती हैं और जो भी भक्त रात में जागरण करके सच्चे मन से माता की आराधना करते हैं, उनका जीवन खुशियों से भरकर अपने भक्तों के यहाँ स्थाई रूप से निवास करने लगती हैं। इस महानिशा में कोई भी पूजा, जप प्रयोग शीघ्र फलदायी होता है। वस्तुत: यह रात्रि हमारे सपनों को पूर्ण करने वाली, जीवन में सुख-समृद्धि भरने वाली सभी संकटों से रक्षा करने वाली, रिद्धि-सिद्धि प्रदान करने वाली है, अत: जो भी भक्त अपने जीवन को सुखद एवं लाइफ स्टाइल में स्थायी परिवर्तन लाना चाहते हैं, उन्हें इस रात को जागकर इसका पूर्ण लाभ अवश्य ही उठाना चाहिए। यहाँ पर कुछ बहुत ही आसान मन्त्रों के प्रयोग बताए जा रहे हैं, जिनके जप करने से साधक को उसके अभीष्ट लाभ निश्चय ही प्राप्त होगा।
आर्थिक संकट निवारण हेतु उपाय
दीपावली की रात्रि को यहाँ दिए गए सिद्ध लक्ष्मी मन्त्र की कम से कम ग्यारह माला तथा उसके बाद प्रतिदिन एक माला जपने से उस व्यक्ति को कभी भी कोई आर्थिक संकट नहीं होता है।
मन्त्र : ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद-प्रसीद श्रीं ह्रीं ॐ श्रीं महालक्ष्म्यै नमः॥ ॐ श्रीं श्रियै नमः स्वाहा।
व्यापार में उन्नति हेतु उपाय
Denne historien er fra November 2023-utgaven av Jyotish Sagar.
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भाग्यचक्र बिगाड़ता चला गया सारे जीवन का क्रम
आलेख के आरम्भ में हम ज्ञान, विद्या और कर्म के आकलन पर विचार कर लेते हैं। जब मनुष्य आयु में बड़ा होने लगता है, जब वह बूढ़ा अर्थात् बुजुर्ग हो जाता है, क्या तब वह ज्ञानी हो जाता है? क्या बड़ी डिग्रियाँ लेकर ज्ञानी हुआ जा सकता है? मैं ज्ञानवृद्ध होने की बात कर रहा हूँ। यानी तन से वृद्ध नहीं, जो ज्ञान से वृद्ध हो, उसकी बात कर रहा है।
मकर संक्रान्ति एक लोकोत्सव
सूर्य के उत्तरायण में आने से खरमास समाप्त हो जाता है और शुभ कार्य प्रारम्भ हो जाते हैं। इस प्रकार मकर संक्रान्ति का पर्व भारतीय संस्कृति का ऊर्जा प्रदायक धार्मिक पर्व है।
महाकुम्भ प्रयागराज
[13 जनवरी, 2025 से 26 फरवरी, 2025 तक]
रथारूढ़ सूर्य मूर्ति फलक
राजपूताना के कई राजवंश एवं शासक सूर्यभक्त थे और उन्होंने कई देवालयों का निर्माण भी करवाया। इन्हीं के शासनकाल में निर्मित मूर्तियाँ वर्तमान में भी राजस्थान के कई संग्रहालयों में संरक्षित हैं।
अस्त ग्रहों की आध्यात्मिक विवेचना
जपाकुसुमसंकाशं काश्यपेयं महद्युतिम्। तमोऽरि सर्वपापघ्नं प्रणतोऽस्मि दिवाकरम् ।।
सूर्य और उनका रत्न माणिक्य
आ कृष्णेन रजसा वर्तमानो निवेशयन्नमृतं मर्त्यं च ।। हिरण्येन सविता रथेना देवो याति भुवनानि पश्यन्॥
नागाओं का अचानक यूँ चले जाना!
नागा साधु किसी समय समाज और संस्कृति की रक्षा के लिए ही जीते थे, अपने लिए कतई नहीं। महाकुम्भ पर्व के अवसर पर नागा साधुओं को न किसी ने आते हुए देखा और न ही जाते हुए।
नागा साधुओं के श्रृंगार हैं अद्भुत
नागाओं की एक अलग ही रहस्यमय दुनिया होती है। चाहे नागा बनने की प्रक्रिया हो अथवा उनका रहन-सहन, सब-कुछ रहस्यमय होता है। नागा साधुओं को वस्त्र धारण करने की भी अनुमति नहीं होती।
इतिहास के झरोखे से प्रयागराज महाकुम्भ
सितासिते सरिते यत्र संगते तत्राप्लुतासो दिवमुत्पतन्ति। ये वे तन्वं विसृजति धीरास्ते जनासो अमृतत्वं भजन्ते ।।
कैसा रहेगा भारतीय गणतन्त्र के लिए 76वाँ वर्ष?
26 जनवरी, 2025 को भारतीय गणतन्त्र 75 वर्ष पूर्ण कर 76वें वर्ष में प्रवेश करेगा। यह 75वाँ वर्ष भारतीय गणतन्त्र के लिए कैसा रहेगा? आइए ज्योतिषीय आधार पर इसकी चर्चा करते हैं।