जिस भाँति प्रत्येक मनुष्य के शरीर में नेत्र प्रधान होते हैं, उसी भाँति ज्योतिष शास्त्र भी वेदों में प्रधान है। अक्सर यही देखा जाता है कि जिस जातक के जन्म के समय ग्रहों की स्थिति जिस प्रकार से रहती है, मनुष्य का भाग्योदय भी उन्हीं ग्रहों के मुताबिक होता है। मनुष्य की शारीरिक बनावट, भाषा शैली, व्यवहार, विद्या तथा कार्यकुशलता भी उसी भाँति रहती है। व्यक्ति का भाग्योदय भी ग्रहों के मुताबिक ही होता है। जातक का पारिवारिक सुख, मित्रता, तीर्थयात्रा, मृत्यु आदि का विचार भी ग्रहों मुताबिक ही किया जाता है। इसके अलावा किसी अदृश्य शक्ति द्वारा भी ये स्वयं संचालित होते रहते हैं।
ज्योतिष शास्त्र में कुछ ग्रह ऐसे भी हैं, जो अपना असर व्यक्ति पर प्रत्यक्ष रूप से दिखाते हैं। इन ग्रहों में से यहाँ आप को शनि ग्रह के सन्दर्भ में जानकारी देंगे। जैसा कि सर्वविदित है कि शनि एक ग्रह का नाम है, जिसे सुनते ही व्यक्ति भयभीत हो जाता है तथा मनोवैज्ञानिक तनाव अहसास करता है।
पहले कुछ जानकारियाँ शनि की साढ़ेसाती के बारे में आवश्यक है। इसके पूर्व शनि का परिचय अनेक भाषाओं में नाम तथा आकाशीय स्थिति के बारे में जानकारी जरूरी है। शनि को 'शनैश्चर' भी कहते हैं। यह एक वायु तत्त्व और पृथ्वी तत्त्व प्रधान ग्रह है। शनि को ज्योतिष शास्त्र में 'अर्कि' कहते हैं। अंग्रेजी में इसे 'शेटरन', अरबी में 'जुदुक्त' तथा फारसी में 'दवान' कहा जाता है। शनि को ‘असित्’, ‘छायात्मज’, ‘मन्द', 'सूर्यपुत्र', 'रविज’, 'पंगु', 'शौरि ' तथा 'भास्कर' आदि नामों से भी जाना जाता है। जन्मपत्रिका में यह मकर तथा कुम्भ राशि का स्वामी होता है। तुला लग्न का सबसे कारक ग्रह माना जाता है।
शनि की आकाशीय स्थिति क्या है?
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सात धामों में श्रेष्ठ है तीर्थराज गयाजी
गया हिन्दुओं का पवित्र और प्रधान तीर्थ है। मान्यता है कि यहाँ श्रद्धा और पिण्डदान करने से पूर्वजों को मोक्ष प्राप्त होता है, क्योंकि यह सात धामों में से एक धाम है। गया में सभी जगह तीर्थ विराजमान हैं।
सत्साहित्य के पुरोधा हनुमान प्रसाद पोद्दार
प्रसिद्ध धार्मिक सचित्र पत्रिका ‘कल्याण’ एवं ‘गीताप्रेस, गोरखपुर के सत्साहित्य से शायद ही कोई हिन्दू अपरिचित होगा। इस सत्साहित्य के प्रचारप्रसार के मुख्य कर्ता-धर्ता थे श्री हनुमान प्रसाद जी पोद्दार, जिन्हें 'भाई जी' के नाम से भी सम्बोधित किया जाता रहा है।
राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर अमृत गीत तुम रचो कलानिधि
राष्ट्रकवि स्व. रामधारी सिंह दिनकर को आमतौर पर एक प्रखर राष्ट्रवादी और ओजस्वी कवि के रूप में माना जाता है, लेकिन वस्तुतः दिनकर का व्यक्तित्व बहुआयामी था। कवि के अतिरिक्त वह एक यशस्वी गद्यकार, निर्लिप्त समीक्षक, मौलिक चिन्तक, श्रेष्ठ दार्शनिक, सौम्य विचारक और सबसे बढ़कर बहुत ही संवेदनशील इन्सान भी थे।
सेतुबन्ध और श्रीरामेश्वर धाम की स्थापना
जो मनुष्य मेरे द्वारा स्थापित किए हुए इन रामेश्वर जी के दर्शन करेंगे, वे शरीर छोड़कर मेरे लोक को जाएँगे और जो गंगाजल लाकर इन पर चढ़ाएगा, वह मनुष्य तायुज्य मुक्ति पाएगा अर्थात् मेरे साथ एक हो जाएगा।
वागड़ की स्थापत्य कला में नृत्य-गणपति
प्राचीन काल से ही भारतीय शिक्षा कर्म का क्षेत्र बहुत विस्तृत रहा है। भारतीय शिक्षा में कला की शिक्षा का अपना ही महत्त्व शुक्राचार्य के अनुसार ही कलाओं के भिन्न-भिन्न नाम ही नहीं, अपितु केवल लक्षण ही कहे जा सकते हैं, क्योंकि क्रिया के पार्थक्य से ही कलाओं में भेद होता है। जैसे नृत्य कला को हाव-भाव आदि के साथ ‘गति नृत्य' भी कहा जाता है। नृत्य कला में करण, अंगहार, विभाव, भाव एवं रसों की अभिव्यक्ति की जाती है।
व्यावसायिक वास्तु के अनुसार शोरूम और दूकानें कैसी होनी चाहिए?
ऑफिस के एकदम कॉर्नर का दरवाजा हमेशा बिजनेस में नुकसान देता है। ऐसे ऑफिस में जो वर्कर काम करते हैं, तो उनको स्वास्थ्य से जुड़ी कई परेशानियाँ आती हैं।
श्रीगणेश नाम रहस्य
हिन्दुओं के पंच परमेश्वर में भगवान् गणेश का स्थान प्रथम माना जाता है। शंकराचार्य जी ने के भी पंचायतन पूजा में गणेश पूजन विधान का उल्लेख किया है। गणेश से तात्पर्य गण + ईश अर्थात् गणों का ईश से है। भगवान् गणेश को कई अन्य नामों से भी पूजा जाता है जैसे विघ्न विनाशक, विनायक, लम्बोदर, सिद्धि विनायक आदि।
प्रेम और भक्ति की अनन्य प्रतीक 'श्रीराधा'
कृष्ण चरित के प्रतिनिधि शास्त्र भागवत और महाभारत में राधा का उल्लेख नहीं होने के बावजूद वे लोकमानस में प्रेम और भक्ति की अनन्य प्रतीक के रूप में बसी हुई हैं। सन्त महात्माओं ने उन्हें कृष्णचरित का अभिन्न अंग माना है। उनकी मान्यता है कि प्रेम और भक्ति की जैसे कोई सीमा नहीं है, उसी तरह राधा का चरित, उनकी लीला और स्वरूप भी प्रेमाभक्ति का चरमोत्कर्ष है।
राजस्थान के लोकदेवता और समाज सुधारक बाबा रामदेव
राजस्थान के देवी-देवताओं में बाबा रामदेव का नाम काफी विख्यात है। इनके अनुयायी राजस्थान, मध्यप्रदेश, गुजरात और सिन्ध (पाकिस्तान) आदि में बड़ी संख्या में हैं।
जन्मपत्रिका में चन्द्रमा और मनुष्य का भावनात्मक जुड़ाव
जिस प्रकार लग्न हमारा शरीर अर्थात् बाहरी व्यक्तित्व है, उसी प्रकार चन्द्रमा हमारा सूक्ष्म व्यक्तित्व है, जो किसी को भी दिखाई नहीं देता, लेकिन महसूस अवश्य होता है।