हस्तरेखाओं से कुछ विशेष उपलब्धिकारक सूत्र
Jyotish Sagar|August 2024
बृहदारण्यकोपनिषद् (1–45) में कहते हैं— 'आत्मा वा अरे द्रष्टव्यः श्रोतव्यो मन्तव्यो निदिध्यासितव्यः।' अर्थात् अरे ! यह आत्मा ही देखने और जानने योग्य है, सुनने योग्य है, मनन करने योग्य है तथा ध्यान करने योग्य है। यानि आत्मा के सम्बन्ध में पहले सुनना होगा, उसके बाद मनन अर्थात् चिन्तन करना होगा। उसके बाद लगातार ध्यान करना होगा।
डॉ. अमित कुमार 'राम'
हस्तरेखाओं से कुछ विशेष उपलब्धिकारक सूत्र

हम सभी आकाश देख पाते हैं और तो क्या, छोटे कीड़े भूमि पर घूमते-फिरते हैं, वे भी ऊपर की ओर देखने पर नीले वर्ण के आकाश को देखते हैं, किन्तु वह हमारे पास से कितनी दूर स्थित हैं? बोलो तो! इच्छा करने पर तो मन सभी जगह जा सकता है, किन्तु इस शरीर को प्रयत्न करके चलना सीखने में ही कितना समय बीत जाता है? हमारे सभी आदर्शों के सम्बन्ध में भी यही बात में आदर्श हमसे बहुत दूर और हम उनसे बहुत नीचे पड़े हुए हैं, तथापि हम जानते हैं कि हमें एक आदर्श मानकर रखना जरूरी है। इतना ही नहीं हमें सर्वोच्च आदर्श रखना आवश्यक है।

अधिकांश व्यक्ति इस संसार में कोई आदर्श लिए बिना ही जीवन के इस अन्धकारमय पथ पर भटकते फिरते हैं। जिनका एक निश्चित आदर्श है, वह यदि 1000 भूलों में पड़ सकता है, तो जिनका कोई भी आदर्श नहीं, वह 10,000 भूलों में पड़ सकता है और निश्चय ही वह 10,000 भूल करेगा। अतएव एक आदर्श रखना ही अच्छा है और यदि वह आदर्श उस आत्मा के सम्बन्ध में है, तो उसको प्राप्ति निश्चित समय पर ही होगी और आदर्श के सम्बन्ध में जितना हो सके, सुनना होगा। उतने दिन सुनना होगा, जितने दिन वह हमारे अन्तस् में प्रवेश नहीं करता, हमारे मस्तिष्क में प्रवेश नहीं करता, जब तक वह हमारे रक्त में प्रवेश नहीं करता और जब वह प्रवेश कर लेगा, जब उसे जानने पर एक असीम आनन्द की प्राप्ति होगी, वही प्रत्येक मनुष्य का लक्ष्य बिन्दु है और जो पृथ्वी के जीवनकाल में उसे जान लेता है, वही मनुष्य वह सब कुछ पा जाता है, जिसे ब्रह्मतत्त्व कहा गया है। इसलिए उपनिषद् में कहा गया है कि इस मृत्युलोक पर जो कुछ है, वह आत्मा ही है, जो ध्यान करने योग्य है, मनन करने योग्य है, सुनने योग्य है और चर्चा करने योग्य है।

Denne historien er fra August 2024-utgaven av Jyotish Sagar.

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सात धामों में श्रेष्ठ है तीर्थराज गयाजी
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सात धामों में श्रेष्ठ है तीर्थराज गयाजी

गया हिन्दुओं का पवित्र और प्रधान तीर्थ है। मान्यता है कि यहाँ श्रद्धा और पिण्डदान करने से पूर्वजों को मोक्ष प्राप्त होता है, क्योंकि यह सात धामों में से एक धाम है। गया में सभी जगह तीर्थ विराजमान हैं।

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September 2024
सत्साहित्य के पुरोधा हनुमान प्रसाद पोद्दार
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प्रसिद्ध धार्मिक सचित्र पत्रिका ‘कल्याण’ एवं ‘गीताप्रेस, गोरखपुर के सत्साहित्य से शायद ही कोई हिन्दू अपरिचित होगा। इस सत्साहित्य के प्रचारप्रसार के मुख्य कर्ता-धर्ता थे श्री हनुमान प्रसाद जी पोद्दार, जिन्हें 'भाई जी' के नाम से भी सम्बोधित किया जाता रहा है।

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September 2024
राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर अमृत गीत तुम रचो कलानिधि
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September 2024
सेतुबन्ध और श्रीरामेश्वर धाम की स्थापना
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सेतुबन्ध और श्रीरामेश्वर धाम की स्थापना

जो मनुष्य मेरे द्वारा स्थापित किए हुए इन रामेश्वर जी के दर्शन करेंगे, वे शरीर छोड़कर मेरे लोक को जाएँगे और जो गंगाजल लाकर इन पर चढ़ाएगा, वह मनुष्य तायुज्य मुक्ति पाएगा अर्थात् मेरे साथ एक हो जाएगा।

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September 2024
वागड़ की स्थापत्य कला में नृत्य-गणपति
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प्राचीन काल से ही भारतीय शिक्षा कर्म का क्षेत्र बहुत विस्तृत रहा है। भारतीय शिक्षा में कला की शिक्षा का अपना ही महत्त्व शुक्राचार्य के अनुसार ही कलाओं के भिन्न-भिन्न नाम ही नहीं, अपितु केवल लक्षण ही कहे जा सकते हैं, क्योंकि क्रिया के पार्थक्य से ही कलाओं में भेद होता है। जैसे नृत्य कला को हाव-भाव आदि के साथ ‘गति नृत्य' भी कहा जाता है। नृत्य कला में करण, अंगहार, विभाव, भाव एवं रसों की अभिव्यक्ति की जाती है।

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September 2024
व्यावसायिक वास्तु के अनुसार शोरूम और दूकानें कैसी होनी चाहिए?
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ऑफिस के एकदम कॉर्नर का दरवाजा हमेशा बिजनेस में नुकसान देता है। ऐसे ऑफिस में जो वर्कर काम करते हैं, तो उनको स्वास्थ्य से जुड़ी कई परेशानियाँ आती हैं।

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September 2024
श्रीगणेश नाम रहस्य
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September 2024
प्रेम और भक्ति की अनन्य प्रतीक 'श्रीराधा'
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September 2024
राजस्थान के लोकदेवता और समाज सुधारक बाबा रामदेव
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जन्मपत्रिका में चन्द्रमा और मनुष्य का भावनात्मक जुड़ाव
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जिस प्रकार लग्न हमारा शरीर अर्थात् बाहरी व्यक्तित्व है, उसी प्रकार चन्द्रमा हमारा सूक्ष्म व्यक्तित्व है, जो किसी को भी दिखाई नहीं देता, लेकिन महसूस अवश्य होता है।

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September 2024