गुजरात की वैयक्तिकता की चेतना से प्रेरित होकर जिसने भी इसकी वैयक्तिकता को सिद्ध करने के लिए सक्रिय रूप से संकल्प लिया है, उसमें गुजरात की पहचान है। इस व्यक्तित्व के निर्माण में पर्वतों और नदियों का स्थान गौण है। मुख्य स्थान उन महापुरुषों का है जिन्होंने गुजरात की यह भावना उत्पन्न की उनके पराक्रम या साहित्यिक रचनाएं गुजरातियों की कल्पना और इच्छा पर ध्यान केन्द्रित करती हैं। यह इतिहास ग्रा सिद्धान्त रचता जाता है। उत्साह और आनंद प्रेरित करता है। गौरव गाथाएं हो जाती हैं। गुजरात का सूक्ष्म शरीर भी वह बनाता है।”
भारत के एक हिस्से के रूप में गुजरात की के पहचान का विशुद्ध मूल उसकी आभ्यात्मिकता है। यहाँ के शूरवीरों, शासकों, दानदाताओं, व्यापारियों, साहित्यिक और सांस्कृतिक नायकों और आम लोगों के व्यवहार में सहजता, सरलता, ज्ञान और व्यापक दृष्टिकोण के दर्शन होते हैं। उसकी जड़ें इस भूमि की गौरवशाली विरासत में हैं। उन्नीसवी शताब्दी के बाद की बात करें तो भी हमें नरसिंह, मीरा, दयानन्द सरस्वती, सहजानन्द स्वामी, आचार्य हेमचन्द्राचार्य सहित अनेक प्रसिद्ध और गुमनाम आध्यात्मवादियों का प्रकाश प्राप्त होता है। उसके बाद आध्यात्म क्षेत्र में विभूतियों के नामों के पन्ने भरे जा सकते हैं और यह समृद्धि ही गुजरातियों के गौरव का मूल बिन्दु है। राष्ट्रीय शायर झवेरचंद मेवानी ने नगर, वन, खेत और गांव-गांव जाकर वीर कथाओं को उजागर कर गुजरात की बड़ी सेवा की है।
Denne historien er fra February 2023 Issue -utgaven av Kendra Bharati - केन्द्र भारती.
Start din 7-dagers gratis prøveperiode på Magzter GOLD for å få tilgang til tusenvis av utvalgte premiumhistorier og 9000+ magasiner og aviser.
Allerede abonnent ? Logg på
Denne historien er fra February 2023 Issue -utgaven av Kendra Bharati - केन्द्र भारती.
Start din 7-dagers gratis prøveperiode på Magzter GOLD for å få tilgang til tusenvis av utvalgte premiumhistorier og 9000+ magasiner og aviser.
Allerede abonnent? Logg på
प्रेमकृष्ण खन्ना
स्थानिक विभूतियों की कथा - २५
स्वस्थ विश्व का आधार बना 'मिलेट्स'
मिलेट्स यानी मोटा अनाज। यह हमारे स्वास्थ्य, खेतों की मिट्टी, पर्यावरण और आर्थिक समृद्धि में कितना योगदान कर सकता है, इसे इटली के रोम में खाद्य एवं कृषि संगठन के मुख्यालय में मोटे अनाजों के अन्तरराष्ट्रीय वर्ष (आईवाईओएम) के शुभारम्भ समारोह के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदीजी के इस सन्देश से समझा जा सकता है :
जब प्राणों पर बन आयी
एक नदी के किनारे एक पेड़ था। उस पेड़ पर बन्दर रहा करते थे।
देव और असुर
बहुत पहले की बात है। तब देवता और असुर इस पृथ्वी पर आते-जाते थे।
हर्षित हो गयी वानर सेना
श्री हनुमत कथा-२१
पण्डित चन्द्र शेखर आजाद
क्रान्तिकारियों को एकजुट कर अंग्रेजी शासन की जड़ें हिलानेवाले अद्भुत योद्धा
भारत राष्ट्र के जीवन में नया अध्याय
भारत के त्रिभुजाकार नए संसद भवन का उद्घाटन समारोह हर किसी को अभिभूत करनेवाला था।
समान नागरिक संहिता समय की मांग
विगत दिनों से समान नागरिक संहिता का विषय निरन्तर चर्चा में चल रहा है। यदि इस विषय पर अब भी कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया तो इसके गम्भीर परिणाम आनेवाली सन्तति और देश को भुगतना पड़ सकता है।
शिक्षा और स्वामी विवेकानन्द
\"यदि गरीब लड़का शिक्षा के मन्दिर न आ सके तो शिक्षा को ही उसके पास जाना चाहिए।\"
लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक
२३ जुलाई, जयन्ती पर विशेष