सुभाषचन्द्र बोस के प्रेरणास्रोत स्वामी विवेकानन्द
Kendra Bharati - केन्द्र भारती|January 2023
नेताजी सुभाषचन्द्र बोस स्वामी विवेकानन्द को अपना आदर्श मानते थे।
डॉ. लखेश्वर चन्द्रवंशी 'लखेश'
सुभाषचन्द्र बोस के प्रेरणास्रोत स्वामी विवेकानन्द

स्वामीजी के विचारों के अनुरूप ही उन्होंने अपने जीवन को गढ़ा था। स्वामीजी ने जिस आत्मनिर्भर और विश्वगुरु भारत की कल्पना की थी, उसी को साकार करने के लिए नेताजी ने अपने जीवन का उत्सर्ग किया था। जो पराधीन है, जिसका जीवन दूसरों पर निर्भर है; वह आत्मनिर्भर नहीं हो सकता। इसलिए सर्वप्रथम भारत की स्वतंत्रता ही नेताजी का लक्ष्य था। भारत की स्वतंत्रता के साथ ही उन्होंने स्वाधीन भारत की राष्ट्रीय एकता के लिए समग्र चिन्तन किया था। नेताजी के पत्रों, लेखों और कथनों में उनके सपनों के भारत की झलक मिलती है। वास्तव में, 'आत्मनिर्भर भारत' ही 'विश्वगुरु भारत' हो सकता है। 

भारत ‘आत्मनिर्भर तभी बन सकेगा जब प्रत्येक भारतवासी को 'भारत का बोध' होगा। भारतवासी जबतक 'भारत' को नहीं समझेंगे तबतक 'स्वयं' को नहीं समझ सकेंगे। विश्वकवि रवीन्द्रनाथ ठाकुर कहते थे “भारत को जानना है तो विवेकानन्द का अध्ययन कीजिए। उनमें सबकुछ सकारात्मक है, नकारात्मकता कुछ भी नहीं।” रवीन्द्रनाथ ठाकुर के इस वक्तव्य का प्रभाव भारतवर्ष के प्रबुद्ध समाज पर पड़ा और आज भी उनके इस कथन से प्रेरित होकर वर्तमान पीढ़ी स्वामी विवेकानन्द के साहित्यों का अध्ययन करती है। उल्लेखनीय है कि नेताजी ने जब स्वामी विवेकानन्द के साहित्यों का अध्ययन किया तब उन्हें अपना जीवन-ध्येय प्राप्त हुआ।

नेताजी के आदर्श स्वामीजी

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