राजस्थान की इस पावन धरा से स्वामी विवेकानन्द का गहरा सम्बन्ध है। 'विवेकानन्द' नाम स्वामीजी को राजस्थान से ही प्राप्त हुआ है। खेतड़ी नरेश अजीत सिंह ने स्वामीजी को ‘विवेकानन्द' नाम दिया। खेतड़ी नरेश ने ही स्वामी विवेकानन्द के अमेरिका गमन के लिए टिकट खरीद कर दिया था। स्वामीजी की यात्रा की व्यवस्था के लिए उन्होंने अपने मंत्री को स्वामीजी के साथ मुम्बई तक भेजा था। स्वामी विवेकानन्द को पगड़ी भी राजस्थान से मिली, जिसे पहनकर स्वामीजी ने विश्व को सम्बोधित किया। और अपने व्याख्यानों से स्वामीजी ने सनातन हिन्दू धर्म को स्वामीजी विश्व पटल पर प्रतिष्ठित किया।
इस व्याख्यान का शीर्षक रखा गया है- 'विश्व विजयी भारत'। किन्तु भारत विश्व विजयी कैसे होगा, इस बात पर हमें बड़ी गहराई से चिन्तन करना होगा। क्या व्याख्यान देने से, बड़े-बड़े नारे लगाने से या प्रचार-प्रसार से भारत विश्वविजयी होगा? नहीं, भाषण करने या सुनने से भारत विजयी नहीं होगा। तो उपाय क्या है ?
विश्व विजयी भारत का केन्द्र बिन्दु मनुष्य निर्माण। मनुष्य-निर्माण होता है आत्मबोध से। जब तक प्रत्येक व्यक्ति का शरीर, मन, बुद्धि जाग्रत नहीं होता; और उससे आगे उसकी आत्मा जाग्रत नहीं होती, तब तक विश्व विजयी होना केवल स्वप्न है। अपने आप को जानना, अपने जीवन के उद्देश्य को पहचानना आवश्यक है। यदि हम अपने जीवन के उद्देश्य को नहीं समझते हैं तो भारत को विश्व विजयी नहीं बना सकते।
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प्रेमकृष्ण खन्ना
स्थानिक विभूतियों की कथा - २५
स्वस्थ विश्व का आधार बना 'मिलेट्स'
मिलेट्स यानी मोटा अनाज। यह हमारे स्वास्थ्य, खेतों की मिट्टी, पर्यावरण और आर्थिक समृद्धि में कितना योगदान कर सकता है, इसे इटली के रोम में खाद्य एवं कृषि संगठन के मुख्यालय में मोटे अनाजों के अन्तरराष्ट्रीय वर्ष (आईवाईओएम) के शुभारम्भ समारोह के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदीजी के इस सन्देश से समझा जा सकता है :
जब प्राणों पर बन आयी
एक नदी के किनारे एक पेड़ था। उस पेड़ पर बन्दर रहा करते थे।
देव और असुर
बहुत पहले की बात है। तब देवता और असुर इस पृथ्वी पर आते-जाते थे।
हर्षित हो गयी वानर सेना
श्री हनुमत कथा-२१
पण्डित चन्द्र शेखर आजाद
क्रान्तिकारियों को एकजुट कर अंग्रेजी शासन की जड़ें हिलानेवाले अद्भुत योद्धा
भारत राष्ट्र के जीवन में नया अध्याय
भारत के त्रिभुजाकार नए संसद भवन का उद्घाटन समारोह हर किसी को अभिभूत करनेवाला था।
समान नागरिक संहिता समय की मांग
विगत दिनों से समान नागरिक संहिता का विषय निरन्तर चर्चा में चल रहा है। यदि इस विषय पर अब भी कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया तो इसके गम्भीर परिणाम आनेवाली सन्तति और देश को भुगतना पड़ सकता है।
शिक्षा और स्वामी विवेकानन्द
\"यदि गरीब लड़का शिक्षा के मन्दिर न आ सके तो शिक्षा को ही उसके पास जाना चाहिए।\"
लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक
२३ जुलाई, जयन्ती पर विशेष