आत्मानुभव के लिए प्रयत्नशील साधकों के लिए गुरु आवश्यक हैं लेकिन पूरे मनोयोग से प्रयत्न न करनेवालों में गुरु आत्मानुभव उत्पन्न नहीं कर सकते। यदि साधक आत्मदर्शन के लिए गम्भीर प्रयत्न करता है तो गुरु की अनुग्रहशक्ति अपने-आप प्रवाहित होने लगती है। यदि प्रयास न किया जाय तो गुरु असहाय हैं।
गुरु अनिवार्य हैं। उपनिषद् कहती है कि 'मन से तथा इन्द्रियों से दिखनेवाले दृश्यों के जंगल से मनुष्य को गुरु के बिना और कोई निकाल नहीं सकता। गुरु अवश्य होने चाहिए।'
आत्मसाक्षात्कार के लिए गुरु अनिवार्य
Denne historien er fra August 2022-utgaven av Rishi Prasad Hindi.
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