गाजियाबाद (उ.प्र.) के हेमंत कुमार सिंह लगभग २२ वर्षों से पूज्य बापूजी के सत्संगसान्निध्य व सेवा का लाभ लेते रहे हैं। उनके द्वारा बताये गये बापूजी के कुछ मधुर संस्मरण :
कैसी आकर्षिणी शक्ति!
मेरा जीवन-परिवर्तन करनेवाला १९९९ का एक वृत्तांत है । उस समय मैं कॉलेज में पढ़ता था और दोस्तों के साथ घूमने-फिरने में समय गँवाने से मेरा मन बहुत ही चंचल व बहिर्मुख था। एक दिन मैं दोस्तों के साथ हँसीमजाक करते-करते जा रहा था तभी कॉलेज के बाहर मेरी नजर एकाएक एक तस्वीर पर पड़ी। मुझे हुआ [ कि तस्वीर में से कोई मुझे डाँट रहा है कि 'अपना समय व्यर्थ की बातों में मत गँवाओ, अनुशासन में रहो।' मुझे नहीं पता था कि वह किसका चित्र है लेकिन मैं अपने-आप कुछ देर के लिए शांत हो गया; बहुत ही आकर्षक चित्र था वह।
बाद में भी मुझे उस तस्वीर से ऐसी प्रेरणाएँ मिलीं। एक दिन मैंने अपने एक सज्जन मित्र से पूछा कि "इस होर्डिंग में किन महाराजजी की तस्वीर है? इसे देखकर लगता है कि जैसे कोई गार्जियन (अभिभावक) मुझे डाँट रहा हो, मुझे रोक-टोक रहा हो गलत मार्ग पर जाने से।"
उसने बताया कि “ये आशाराम बापूजी हैं, संत हैं, सत्संग करते हैं। तू पूजा-पाठ करता है, भगवान को मानता है इसलिए यह तेरे लिए आध्यात्मिक संकेत है। कुछ दिनों बाद दिल्ली में इनका सत्संग है, तेरे को वहाँ दर्शन करने जाना चाहिए।”
मेरे परिवार में सभी लोग धार्मिक थे तो मेरे अंदर भी भक्ति के कुछ संस्कार थे । मुझे उसकी बात जँच गयी । हालाँकि किसी कारणवश मैं उस समय सत्संग में नहीं जा पाया लेकिन उस तस्वीर में ऐसी आकर्षिणी शक्ति थी कि जब भी मैं देखता तो होता था कि 'मैं इनके दर्शन करने जरूर जाऊँगा।’
Denne historien er fra January 2023-utgaven av Rishi Prasad Hindi.
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ज्ञान के दीप, भक्ति के पुंज व सेवा की ज्योति से सजी दिवाली
ऋषि प्रसाद प्रतिनिधि | हमारी संस्कृति के पावन पर्व दीपावली पर दीप जलाने की परम्परा के पीछे अज्ञान-अंधकार को मिटाकर आत्मप्रकाश जगाने का सूक्ष्म संकेत है। १ से ७ नवम्बर तक अहमदाबाद आश्रम में हुए 'दीपावली अनुष्ठान एवं ध्यान योग शिविर' में उपस्थित हजारों शिविरार्थियों ने हमारे महापुरुषों के अनुसार इस पर्व का लाभ उठाया एवं अपने हृदय में ज्ञान व भक्ति के दीप प्रज्वलित कर आध्यात्मिक दिवाली मनायी।
पुत्रप्राप्ति आदि मनोरथ पूर्ण करनेवाला एवं समस्त पापनाशक व्रत
१० जनवरी को पुत्रदा एकादशी है। इसके माहात्म्य के बारे में पूज्य बापूजी के सत्संग-वचनामृत में आता है :
पंचकोष-साक्षी शंका-समाधान
(पिछले अंक में आपने पंचकोष-साक्षी विवेक के अंतर्गत जाना कि पंचकोषों का साक्षी आत्मा उनसे पृथक् है । उसी क्रम में अब आगे...)
कुत्ते, बिल्ली पालने का शौक देता है गम्भीर बीमारियों का शॉक!
कुत्ते, बिल्ली पालने के शौकीन सावधान हो जायें !...
हिम्मत करें और ठान लें तो क्या नहीं हो सकता!
मनुष्य में बहुत सारी शक्तियाँ छुपी हुई हैं। हिम्मत करे तो लाख-दो लाख रुपये की नौकरी मिलना तो क्या, दुकान का, कारखाने का स्वामी बनना तो क्या, त्रिलोकी के स्वामी को भी प्रकट कर सकता है, ध्रुव को देखो, प्रह्लाद को, मीरा को देखो।
पुण्यात्मा कर्मयोगियों के नाम पूज्य बापूजी का संदेश
'अखिल भारतीय वार्षिक ऋषि प्रसाद-ऋषि दर्शन सम्मेलन २०२५' पर विशेष
मकर संक्रांति : स्नान, दान, स्वास्थ्य, समरसता, सुविकास का पर्व
१४ जनवरी मकर संक्रांति पर विशेष
समाजसेवा व परदुःखकातरता की जीवंत मूर्ति
२५ दिसम्बर को मदनमोहन मालवीयजी की जयंती है। मालवीयजी कर्तव्यनिष्ठा के आदर्श थे। वे अपना प्रत्येक कार्य ईश्वर-उपासना समझकर बड़ी ही तत्परता, लगन व निष्ठा से करते थे। मानवीय संवेदना उनमें कूट-कूटकर भरी थी।
संतों की रक्षा कीजिये, आपका राज्य निष्कंटक हो जायेगा
आप कहते हैं... क्या पुरातत्त्व विभाग के खंडहर और जीर्ण-शीर्ण इमारतें ही राष्ट्र की धरोहर हैं? ... राष्ट्रसेवा करने का सनातनियों ने उन्हें यही फल दिया !
ब्रह्मवेत्ता संत तीर्थों में क्यों जाते हैं?
एक बड़े नगर में स्वामी शरणानंदजी का सत्संग चल रहा था। जब वे प्रवचन पूरा कर चुके तो मंच पर उपस्थित संत पथिकजी ने पूछा कि ‘“महाराज ! आप जो कुछ कहते हैं वही सत्य है क्या?\"