नारदजी: "राजन्! भगवान को आठ प्रकार के पुष्प पसंद हैं। उन पुष्पों से जो भगवान की पूजा करता है, भगवान उसके हृदय में प्रकट हो जाते हैं। उसकी बुद्धि भगवद्-ज्ञान में गोता लगाकर ऋतम्भरा प्रज्ञा हो जाती है। उसकी २१ पीढ़ियाँ तर जाती हैं!"
अम्बरीष: "महात्मन्! कृपा करके जल्दी बताइये। वे पुष्प अगर बगीचे में नहीं होंगे तो उनके पौधे मँगवाकर उन्हें अपने बगीचे में जरूर लगवाऊँगा एवं प्रतिदिन उन्हीं पुष्पों से भगवान की पूजा करूँगा।"
नारदजी मंद-मंद मुस्कराये एवं बोले: "अम्बरीष! वे पुष्प किसी माली के बगीचे में नहीं होते। वे पुष्प तो तुम्हारे हृदयरूपी बगीचे में ही हो सकते हैं।"
Denne historien er fra April 2023-utgaven av Rishi Prasad Hindi.
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रूहानी सौदागर संत-फकीर
१५ नवम्बर को गुरु नानकजी की जयंती है। इस अवसर पर पूज्य बापूजी के सत्संग-वचनामृत से हम जानेंगे कि नानकजी जैसे सच्चे सौदागर (ब्रहाज्ञानी महापुरुष) समाज से क्या लेकर समाज को क्या देना चाहते हैं:
पितरों को सद्गति देनेवाला तथा आयु, आरोग्य व मोक्ष प्रदायक व्रत
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९ नवम्बर : गोपाष्टमी पर विशेष
कर्म करने से सिद्धि अवश्य मिलती है
गतासूनगतासुंश्च नानुशोचन्ति पण्डिताः ॥
अपने ज्ञानदाता गुरुदेव के प्रति कैसा अद्भुत प्रेम!
(गतांक के 'साध्वी रेखा बहन द्वारा बताये गये पूज्य बापूजी के संस्मरण' का शेष)
समर्थ साँईं लीलाशाहजी की अद्भुत लीला
साँईं श्री लीलाशाहजी महाराज के महानिर्वाण दिवस पर विशेष
धर्मांतरणग्रस्त क्षेत्रों में की गयी स्वधर्म के प्रति जागृति
ऋषि प्रसाद प्रतिनिधि।