जिनकी अकाल मृत्यु होती है वे प्रेत हो जाते हैं। एक बुद्धपुरुष - ब्रह्मवेत्ता महापुरुष ने सोचा कि 'मुझे प्रेतों को देखना है।' वे भूत-प्रेत फँसानेवाले व्यक्ति के पास गये और कहा कि "तुम्हारे भूत मुझे देखने हैं।"
उसने कहा: "बाबाजी ! यह धंधा बहुत खराब है, क्या देखना है ! ये तो बड़े म्लेच्छ होते हैं और आप जैसे संत देखेंगे !"
बोले: "हमारी साधना पूरी हो गयी; अब हमें कुछ पाना नहीं, कुछ खोना नहीं। हमें तो विनोदमात्र देखना है।"
उसने कहा: "बाबाजी ! कितने दिखाऊँ? मेरे पास कई बँधे हुए हैं। और मेरे पास ऐसे कई मंत्र भी हैं जिनसे मैं सैकड़ों प्रेतों को बुला सकता हूँ।"
बाबाजी ने कहा: "२-४ ही दिखा दे, देखूँ कैसे होते हैं।"
Denne historien er fra April 2023-utgaven av Rishi Prasad Hindi.
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ऋषि प्रसाद प्रतिनिधि।