आश्विन मास के कृष्ण पक्ष को 'पितृ पक्ष ' या ‘महालय पक्ष’ बोलते हैं। श्रद्धया दीयते यत्र, तच्छ्राद्धं परिचक्षते। श्रद्धा से जो पूर्वजों के लिए अर्पण किया जाता है उसे 'श्राद्ध' कहते हैं। जो श्राद्ध नहीं करते हैं वे स्वयं भी घाटे में रहते हैं और उनके पितर भी दुःखी होते हैं। और जो श्राद्ध करते हैं वे स्वयं भी सुखी, सम्पन्न होते हैं और उनके दादे-परदादे... सब पुरखे भी सुखी होते हैं। गरुड़ पुराण (धर्म कांड १०.५७-५८) में आता है : प्रेत कल्प :
कुर्वीत समये श्राद्धं कुले कश्चिन्न सीदति।
आयुः पुत्रान् यशः स्वर्गं कीर्तिं पुष्टिं बलं श्रियम्॥
पशून् सौख्यं धनं धान्यं प्राप्नुयात् पितृपूजनात्।
Denne historien er fra September 2023-utgaven av Rishi Prasad Hindi.
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ऋषि प्रसाद प्रतिनिधि।