
मजा तो नहीं आया, सजा मिल गयी
एक बच्चे को बीड़ी पीने का शौक लगा। उसके काका को बीड़ी पीने की आदत थी। उस बच्चे के पास पैसे थे नहीं इसलिए उसके काका बीड़ी पीकर जो टुकड़े फेंक देते थे उन्हें इकट्ठा करता, पीता और धूआँ निकालता था।
जूठी बीड़ी फूँकी... मजा तो नहीं आया परंतु सजा मिल गयी कि आदत पड़ गयी। आदत बुरी बला है। कभी बीड़ी के टुकड़े ठीक से मिलें-न मिलें तो नौकरों की जेब से पैसे चुराने लगा। कुछ हफ्ते बाद किसीने कहा कि 'अमुक प्रकार की जो वनस्पति की लकड़ी आती है उसको फूँकने से भी बीड़ी जैसा धूआँ निकलता है, मजा आता है।"
वह लकड़ी भी फूँक के देखी, उसमें भी कोई मजा नहीं आया। सोचा कि 'बीड़ी पीने से तो फेफड़े कमजोर होते हैं, निकोटिन जहर शरीर में मिश्रित होता है और मुँह से बदबू भी आती है फिर भी यह आदत...।' ऐसे करते-करते उसका अंतरात्मा धिक्कारने लगा और एक दिन वह खूब रोया। भगवान से प्रार्थना की कि 'हे भगवान ! मेरी बुरी आदत छूट जाय।...'
Denne historien er fra September 2023-utgaven av Rishi Prasad Hindi.
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विरुद्ध आहार : स्वास्थ्य के लिए अदृश्य विष
जो पदार्थ रस-रक्तादि सप्तधातुओं के विरुद्ध गुणधर्मवाले व वात-पित्त-कफ इन त्रिदोषों को प्रकुपित करनेवाले हैं उनके सेवन से रोगों की उत्पत्ति होती है। इन पदार्थों में कुछ परस्पर गुणविरुद्ध, कुछ संयोगविरुद्ध, कुछ संस्कारविरुद्ध और कुछ देश, काल, मात्रा, स्वभाव आदि से विरुद्ध होते हैं।

आप राष्ट्र के भावी कर्णधार या अभिभावक हैं तो...
किसी भी राष्ट्र की प्रगति के लिए जितनी आवश्यकता शिक्षित नागरिकों की मानी जाती है उससे भी कहीं ज्यादा नैतिकता से सुसम्पन्न चरित्रवान नागरिकों की होती है और बिना आध्यात्मिकता के नैतिकता टिक ही नहीं सकती।

जब तालियों की गड़गड़ाहट के बीच रो पड़े महात्मा
एक बार किन्हीं महात्मा को कुछ लोग खूब रिझा-रिझाकर अपने गाँव में ले गये। ब्रह्मवेत्ता, आत्मसाक्षात्कारी महापुरुष आ रहे हैं यह जान के गाँववालों ने एड़ी-चोटी का जोर लगाकर उनके स्वागत की तैयारियाँ कीं। बड़ा विशाल मंच तैयार किया गया।

भगवान श्रीराम की गुणग्राही दृष्टि
जब हनुमानजी श्रीरामचन्द्रजी की सुग्रीव से मित्रता कराते हैं तब सुग्रीव अपना दुःख, अपनी असमर्थता, अपने हृदय की हर बात भगवान के सामने निष्कपट भाव से रख देता है। सुग्रीव की निखालिसता से प्रभु गद्गद हो जाते हैं । तब सुग्रीव को धीरज बँधाते हुए भगवान श्रीराम प्रतिज्ञा करते हैं :

गोरखनाथजी के तीन अनोखे सवाल
योगी गोरखनाथ अपने प्यारे शिष्य के साथ कहीं जा रहे थे। रास्ते में प्यास लगी तो कुएँ पर पानी पीने गये। खेत में ज्वार के दाने चमक रहे थे, किसान ज्वार को पानी पिला रहा था। गोरखनाथजी ने पानी पिया और किसान से पूछा : \"ज्वार खा ली है कि खानी बाकी है?\"

इसका नाम है सेवा
एक गुरु के दो शिष्य थे। एक बेटा था, एक चेला था। गुरुजी ने दोनों से कहा : \"तुम लोग एक-एक चबूतरा बनाओ। उस पर बैठकर हम भजन किया करेंगे।\"

परम पद की प्राप्ति के लिए यह बहुत जरूरी है
हमारे परम हितैषी कौन?

यदि आप आदर्श नारी बनना चाहती हैं तो...
विश्व-इतिहास में जितनी भी सभ्यताएँ हैं उनका अध्ययन करें तो स्पष्ट हो जाता है कि नारी को जो दर्जा, सम्मान भारतीय संस्कृति में दिया गया है वैसा अन्य कहीं भी नहीं दिया गया। आधुनिक युग में पाश्चात्य देशों ने नारीवाद (feminism) के सिद्धांत का प्रचार किया और नारी-स्वातंत्र्य के नाम पर नारियों को ऐसे कृत्यों की तरफ अग्रसर कर दिया जो नारियों की प्रकृति के विरुद्ध होने से उनको दुःख देते हैं और उनकी गरिमा को धूमिल कर रहे हैं।

कौन कहता है भगवान आते नहीं...
१२ अप्रैल को हनुमानजी का प्राकट्य दिवस है। पूज्य बापूजी के सत्संग-वचनामृत में आता है :

सारी बीमारियों का सबसे बड़ा इलाज
आपको यह जानकर खुशी होगी कि जब मैंने 'न्यू साइंस ऑफ हीलिंग' और 'रिटर्न टू नेचर' नाम की किताबें पढ़ीं तभी से मैं कुदरती इलाज का पक्का समर्थक हो गया था।