वे स्वर्णिम क्षण भुलाये नहीं भूलते मैं
बारडोली (जि. सूरत) में सिंचाई विभाग में सिविल इंजीनियर के पद पर था। मैं भगवान श्रीकृष्ण को इष्ट मानता था परंतु ऑफिस की पार्टियों में सब लोग शराब, मांसाहार आदि का सेवन करते थे तो उन्हें बुरा न लगे इसलिए मैं भी करता था, न चाहते हुए भी भ्रष्टाचार आदि में भी संलग्न होता था।
१९९४ में एक दिन ऑफिस में एक अधिकारी ने मुझसे कहा : ‘‘आज संत श्री आशारामजी बापू का सत्संग है, आप चलेंगे ?’’ मैंने ‘हाँ’ भर दी। सत्संग-स्थल पर पहुँचा तो देखा कि महाराजश्री कीर्तन करवा रहे हैं, जिसमें हजारों लोग झूम रहे हैं। बड़ा ही शांत वातावरण था। मैं संतश्री को प्रणाम करके कीर्तन करने लगा। ‘हरि ॐ हरि ॐ...' की उस धुन का ऐसा प्रभाव हुआ कि मुझे आनंद - आनंद आने लगा। थोड़ी देर बाद बापूजी बोले : ‘‘सभी मन-ही-मन अंतर्यामी गुरु को स्नेह करते जाओ, हृदय को धन्यवाद से भरते जाओ।" मुझे हुआ कि 'मेरे तो कोई गुरु ही नहीं हैं, मैं किनको स्नेह करूँ?'
Denne historien er fra November 2023-utgaven av Rishi Prasad Hindi.
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रूहानी सौदागर संत-फकीर
१५ नवम्बर को गुरु नानकजी की जयंती है। इस अवसर पर पूज्य बापूजी के सत्संग-वचनामृत से हम जानेंगे कि नानकजी जैसे सच्चे सौदागर (ब्रहाज्ञानी महापुरुष) समाज से क्या लेकर समाज को क्या देना चाहते हैं:
पितरों को सद्गति देनेवाला तथा आयु, आरोग्य व मोक्ष प्रदायक व्रत
एकादशी माहात्म्य - मोक्षदा एकादशी पर विशेष
ऐसी कल्पना आपका कल्याण कर देगी
बाबा कृष्ण बन जाते हैं, कृष्ण बाबा बन जाते हैं।
विलक्षण न्याय
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पूज्य बापूजी की रिहाई ही देश को विश्वगुरु बना सकती है
श्री अशोक सिंहलजी की जयंती पर हुए विशेष चर्चासत्र के कुछ अंश
गोपाष्टमी पर क्यों किया जाता है गायों का आदर-पूजन?
९ नवम्बर : गोपाष्टमी पर विशेष
कर्म करने से सिद्धि अवश्य मिलती है
गतासूनगतासुंश्च नानुशोचन्ति पण्डिताः ॥
अपने ज्ञानदाता गुरुदेव के प्रति कैसा अद्भुत प्रेम!
(गतांक के 'साध्वी रेखा बहन द्वारा बताये गये पूज्य बापूजी के संस्मरण' का शेष)
समर्थ साँईं लीलाशाहजी की अद्भुत लीला
साँईं श्री लीलाशाहजी महाराज के महानिर्वाण दिवस पर विशेष
धर्मांतरणग्रस्त क्षेत्रों में की गयी स्वधर्म के प्रति जागृति
ऋषि प्रसाद प्रतिनिधि।