ऐसी वस्तु को तो कोई भी परमात्मा के नाम से नहीं कहता। 'अहं- अहं' के स्फुरित आकार का अधिष्ठान जड़ द्रव्य होना किसी प्रकार सम्भव नहीं है। वह स्वयंप्रकाश 'चित्' तत्त्व ही है, जिसे देश-काल-वस्तु के भेदछेद स्पर्श नहीं कर सकते। इस नित्य-प्राप्त तत्त्व की अप्राप्ति केवल अज्ञान से है और अज्ञान से ही नित्य-निवृत्त अनर्थ की प्राप्ति सी हो रही है। इस अज्ञान की निवृत्ति के सिवाय परम आत्मा, परम ज्ञान, परम आनंद की प्राप्ति का दूसरा कोई साक्षात् साधन होना सम्भव नहीं है।
Denne historien er fra April 2024-utgaven av Rishi Prasad Hindi.
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रूहानी सौदागर संत-फकीर
१५ नवम्बर को गुरु नानकजी की जयंती है। इस अवसर पर पूज्य बापूजी के सत्संग-वचनामृत से हम जानेंगे कि नानकजी जैसे सच्चे सौदागर (ब्रहाज्ञानी महापुरुष) समाज से क्या लेकर समाज को क्या देना चाहते हैं:
पितरों को सद्गति देनेवाला तथा आयु, आरोग्य व मोक्ष प्रदायक व्रत
एकादशी माहात्म्य - मोक्षदा एकादशी पर विशेष
ऐसी कल्पना आपका कल्याण कर देगी
बाबा कृष्ण बन जाते हैं, कृष्ण बाबा बन जाते हैं।
विलक्षण न्याय
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पूज्य बापूजी की रिहाई ही देश को विश्वगुरु बना सकती है
श्री अशोक सिंहलजी की जयंती पर हुए विशेष चर्चासत्र के कुछ अंश
गोपाष्टमी पर क्यों किया जाता है गायों का आदर-पूजन?
९ नवम्बर : गोपाष्टमी पर विशेष
कर्म करने से सिद्धि अवश्य मिलती है
गतासूनगतासुंश्च नानुशोचन्ति पण्डिताः ॥
अपने ज्ञानदाता गुरुदेव के प्रति कैसा अद्भुत प्रेम!
(गतांक के 'साध्वी रेखा बहन द्वारा बताये गये पूज्य बापूजी के संस्मरण' का शेष)
समर्थ साँईं लीलाशाहजी की अद्भुत लीला
साँईं श्री लीलाशाहजी महाराज के महानिर्वाण दिवस पर विशेष
धर्मांतरणग्रस्त क्षेत्रों में की गयी स्वधर्म के प्रति जागृति
ऋषि प्रसाद प्रतिनिधि।