... और मुगल साम्राज्य का अंत हो गया
Rishi Prasad Hindi|April 2024
जो दूसरों को परेशान करके राज्य करते हैं अथवा जो दूसरों को परेशान करके मजा लेते हैं उनके लिए कुदरत की क्या-क्या व्यवस्था है ! मुगल शासन था। दो राजकुमार दिल्ली से बाहर जंगल में आखेट (शिकार) करने गये।
पूज्य बापूजी
... और मुगल साम्राज्य का अंत हो गया

आखेट करते-करते पेड़ के नीचे आकर बैठे, साथ में उनके चमचे भी थे। बैठे-बैठे गुलेल में से धड़ाक - से पत्थर फेंका। पक्षी को लगा, उसकी गर्दन टूटी, गिरा, छटपटाया। और ये राजकुमार हँस रहे हैं 'लग गया लग गया, गिर गया - गिर गया, देखो मर रहा है, मर रहा है...', दूसरे ने दूसरे पक्षी को मार गिराया । पक्षी बेचारे छटपटाते हुए जान दे रहे थे। इतने में कोई संत वहाँ से पसार हुए।

संत हृदय नवनीत समाना ।

कहा कबिन्ह परि कहै न जाना ॥

निज परिताप द्रवइ नवनीता ।

पर दुख द्रवहिं संत सुपुनीता ॥

'संतों का हृदय मक्खन के समान होता है, ऐसा कवियों ने कहा है परंतु उन्होंने असली बात कहना नहीं जाना क्योंकि मक्खन तो अपने को ताप मिलने से पिघलता है और परम पवित्र संत दूसरों के दुःख से पिघल जाते हैं।' (रामचरित. उ. कां. : १२४.४)

Denne historien er fra April 2024-utgaven av Rishi Prasad Hindi.

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