भगवान धन्वंतरिजी
२९ अक्टूबर को भगवान धन्वंतरिजी की जयंती है, जो 'राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस' के रूप में देशभर में मनायी जाती है । इस निमित्त पूज्य बापूजी की प्रेरणा से संत श्री आशारामजी आश्रम द्वारा विशेष कार्यक्रम किये जाते हैं।
आयुर्वेद की निरापद चिकित्सा-पद्धति भारतीय संस्कृति ऋषि-मुनियों द्वारा विश्वमानव को दी गयी अनमोल सौगात है। इसमें रोग-निवृत्ति हेतु कारगर औषधियों के साथ स्वास्थ्य की रक्षा के लिए आदर्श दिनचर्या, ऋतु-अनुरूप आहार-विहार, संयम-सदाचार पालन के विभिन्न नियम आदि की सुंदर व्यवस्था है। पूज्य बापूजी स्वयं तो आयुर्वेद का लाभ लेते ही रहे हैं, अपने सत्संगों के माध्यम से लाखों-लाखों लोगों तक इसका ज्ञान पहुँचाकर उन्हें भी इसका लाभ लेने हेतु प्रेरित करते रहे हैं। आयुर्वेद की महत्ता के बारे में पूज्यश्री के सत्संग वचनामृत में आता है :
दिल में आयुर्वेद को रखो
आयुर्वेदिक औषधियों व उपचार की खोज ऋषियों द्वारा समाधिस्थ होकर की गयी है। भगवान ब्रह्माजी, जो सृष्टि के कर्ता हैं, सारे भुवनों के रहस्यों के जानकार हैं, उन्होंने समाधिस्थ होकर हमारे स्वास्थ्य के बारे में चिंतन किया और आरोग्य का पुनः प्राकट्य करने के लिए सच्चिदानंदरूप परमेश्वर से एक हो के आयुर्वेद को प्रकट किया। उनको खूब-खूब प्रणाम हैं!
Denne historien er fra October 2024-utgaven av Rishi Prasad Hindi.
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ज्ञान के दीप, भक्ति के पुंज व सेवा की ज्योति से सजी दिवाली
ऋषि प्रसाद प्रतिनिधि | हमारी संस्कृति के पावन पर्व दीपावली पर दीप जलाने की परम्परा के पीछे अज्ञान-अंधकार को मिटाकर आत्मप्रकाश जगाने का सूक्ष्म संकेत है। १ से ७ नवम्बर तक अहमदाबाद आश्रम में हुए 'दीपावली अनुष्ठान एवं ध्यान योग शिविर' में उपस्थित हजारों शिविरार्थियों ने हमारे महापुरुषों के अनुसार इस पर्व का लाभ उठाया एवं अपने हृदय में ज्ञान व भक्ति के दीप प्रज्वलित कर आध्यात्मिक दिवाली मनायी।
पुत्रप्राप्ति आदि मनोरथ पूर्ण करनेवाला एवं समस्त पापनाशक व्रत
१० जनवरी को पुत्रदा एकादशी है। इसके माहात्म्य के बारे में पूज्य बापूजी के सत्संग-वचनामृत में आता है :
पंचकोष-साक्षी शंका-समाधान
(पिछले अंक में आपने पंचकोष-साक्षी विवेक के अंतर्गत जाना कि पंचकोषों का साक्षी आत्मा उनसे पृथक् है । उसी क्रम में अब आगे...)
कुत्ते, बिल्ली पालने का शौक देता है गम्भीर बीमारियों का शॉक!
कुत्ते, बिल्ली पालने के शौकीन सावधान हो जायें !...
हिम्मत करें और ठान लें तो क्या नहीं हो सकता!
मनुष्य में बहुत सारी शक्तियाँ छुपी हुई हैं। हिम्मत करे तो लाख-दो लाख रुपये की नौकरी मिलना तो क्या, दुकान का, कारखाने का स्वामी बनना तो क्या, त्रिलोकी के स्वामी को भी प्रकट कर सकता है, ध्रुव को देखो, प्रह्लाद को, मीरा को देखो।
पुण्यात्मा कर्मयोगियों के नाम पूज्य बापूजी का संदेश
'अखिल भारतीय वार्षिक ऋषि प्रसाद-ऋषि दर्शन सम्मेलन २०२५' पर विशेष
मकर संक्रांति : स्नान, दान, स्वास्थ्य, समरसता, सुविकास का पर्व
१४ जनवरी मकर संक्रांति पर विशेष
समाजसेवा व परदुःखकातरता की जीवंत मूर्ति
२५ दिसम्बर को मदनमोहन मालवीयजी की जयंती है। मालवीयजी कर्तव्यनिष्ठा के आदर्श थे। वे अपना प्रत्येक कार्य ईश्वर-उपासना समझकर बड़ी ही तत्परता, लगन व निष्ठा से करते थे। मानवीय संवेदना उनमें कूट-कूटकर भरी थी।
संतों की रक्षा कीजिये, आपका राज्य निष्कंटक हो जायेगा
आप कहते हैं... क्या पुरातत्त्व विभाग के खंडहर और जीर्ण-शीर्ण इमारतें ही राष्ट्र की धरोहर हैं? ... राष्ट्रसेवा करने का सनातनियों ने उन्हें यही फल दिया !
ब्रह्मवेत्ता संत तीर्थों में क्यों जाते हैं?
एक बड़े नगर में स्वामी शरणानंदजी का सत्संग चल रहा था। जब वे प्रवचन पूरा कर चुके तो मंच पर उपस्थित संत पथिकजी ने पूछा कि ‘“महाराज ! आप जो कुछ कहते हैं वही सत्य है क्या?\"